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हाईकोर्ट ने कहा था- मुस्कान के साथ कुछ कहा जाए तो अपराध नहीं...अब आई ये खबर

jantaserishta.com
4 April 2022 6:29 AM GMT
हाईकोर्ट ने कहा था- मुस्कान के साथ कुछ कहा जाए तो अपराध नहीं...अब आई ये खबर
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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक फैसले को 'रिजर्व' रखते हुए टिप्पणी की है कि, "अगर आप मुस्कराते हुए कुछ कह रहे हैं तो इसमें कोई अपराध नहीं है, अगर आप कुछ आपत्तिजनक कह रहे हैं तो यह जरूर अपराध है." दरअसल यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई जिसमें, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur on Shaheen Bagh) के खिलाफ अभद्र भाषा के लिए आपराधिक मामला चलाने का अनुरोध किया गया. हाईकोर्ट की की पीठ ने भले ही अभी याचिका पर कोई फैसला फिलहाल नहीं दिया है.

मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस चंद्रधारी सिंह की एक सदस्यीय बेंच (एकल पीठ) कर रही है. याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने आगे कहा, "राजनीतिक भाषणों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले चेक एंड बैलेंस की आवश्यकता होती है." यहां यह उल्लेखनीय है कि सीपीआई नेता वृंदा करात की ओर से दायर इस याचिका के जरिए, निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा नेता परवेश वर्मा के खिलाफ शिकायत को खारिज किया जा चुका है.
यह याचिका निचली अदालत में साल 2020 के दिल्ली दंगों से ठीक पहले दिए गए भाषणों से संबंधित थी. निचली अदालत में पूर्व में पेश और फिर खारिज हो चुकी याचिका के मुताबिक, मंत्री ने भाषण के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए समर्थकों से आह्वान किया था कि, 'देश के गद्दारों को, गोली मारो सा… को' के नारे का इस्तेमाल किया था. इस मामले में 29 जनवरी साल 2020 को चुनाव आयोग ने मुंत्री अनुराग ठाकुर को नोटिस जारी कर दिया था. वृंदा करात ने इसी के बाद निचली अदालत के सामने शिकायत में अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर, मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी.
सीपीआई नेता वृंदा करात के अधिवक्ता अदित पुजारी व तारा नरूला ने मामले से संबंधित अपनी तमाम और भी दलीलें पुख्ताई से पीठ के समक्ष रखीं, जिनमें कहा गया कि इन्हीं भाषणों ने दिल्ली के अलग अलग इलाकों में सीएए के विरोध में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा को भकड़काया गया था. साथ ही उस दौरान अनुराग ठाकुर की ओर से 'ये लोग' जैसे अल्फाज के इस्तेमाल से संकेत मिलता है कि वे (आरोपी मंत्री) प्रदर्शनकारियों और एक विशेष समुदाय को निशाना बना रहे थे.
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रही एकल पीठ ने टिप्पणी की कि, "चुनावी भाषण और अन्य समय में दिए गए भाषणों में अंतर होता है क्योंकि अगर चुनाव के समय कोई भाषण दिया जाता है, तो वह एक अलग समय होता है. यदि आप सामान्य भाषण दे रहे होते हैं तो आप कुछ भड़का रहे हैं, चुनाव भाषण में राजनेताओं द्वारा एक दूसरे से बहुत सी बातें कही जाती हैं और वह भी गलत बात है, लेकिन मुझे अधिनियम की आपराधिकता को देखना होगा. यदि आप कुछ कह रहे हैं, मान लीजिए कि आपने केवल माहौल और इन सभी चीजों के लिए कुछ कहा है, मुझे लगता है कि विभिन्न राजनीतिक दल अलग अलग बातें कहते हैं."

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