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नए वेरिएंट का कहर, अब 94 देशों में फैला ओमिक्रॉन

Nilmani Pal
18 Dec 2021 4:28 PM GMT
नए वेरिएंट का कहर, अब 94 देशों में फैला ओमिक्रॉन
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कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है. अब तक 94 देशों को अपनी चपेट में ले चुका ओमिक्रॉन अभी भी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बना हुआ है. जानकारी तो कई सामने आ रही हैं, लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा रहा. अब शुरुआती रिसर्च के बाद कुछ एक्सपर्ट ये जानने में कामयाब रहे हैं कि आखिर क्यों डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन ज्यादा तेजी से फैलता है. WHO के डॉक्टर माइक रियान बताते हैं कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव देखने को मिला है. यहीं प्रोटीन ह्यूमन सेल के संपर्क में भी आता है. इसी वजह से डेल्टा की तुलना में ये ज्यादा तेजी से फैल सकता है. डॉक्टर माइक ये भी मनते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के जेनेटिक स्क्वीकेंस में बदलाव देखने को मिला है, इस वजह से भी ये जल्दी फैल रहा है.

अब इस रिसर्च के बीच चिंता में डालने वाला अध्ययन हांगकांग यूनिवर्सिटी ने कर दिया है. उनकी तरफ से कहा गया है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है. इसके अलावा रिपोर्ट भी इस बात पर भी जोर है कि ओमिक्रॉन दूसरे वैरिएंट की तुलना में कम घातक सिद्ध हो सकता है. लेकिन अभी तक इस रिपोर्ट को रिव्यू नहीं किया गया है, ऐसे में इसे पुख्ता नहीं माना जा सकता है. अब इस दावे को लेकर डॉक्टर सत्यनारायण मानते हैं कि ओमिक्रॉन का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई है. उनके मुताबिक इस मुश्किल स्थिति में एक बार फिर बूस्टर डोज की अहमियत बढ़ गई है और सभी देशों को इस दिशा में सोचना चाहिए.

वहीं यशोदा अस्पताल के डॉक्टर चेतन राउ कहते हैं कि इंसान के इम्यून सिस्टम पर भी काफी कुछ निर्भर करता है. वहीं उनकी माने तो अगर किसी को वैक्सीन नहीं लगी है या फिर जो अभी तक कोरोना का शिकार नहीं हुआ है, उसे भी ओमिक्रॉन का ज्यादा खतरा हो सकता है. अभी के लिए शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के जिन देशों में ओमिक्रॉन ने दस्तक दी है, वहां पर इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ब्रिटेन-अमेरिका में स्थिति ज्यादा खराब दिखाई पड़ रही है. WHO ने भी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन के मामले 1.5 से तीन दिनों में डबल हो रहे हैं. जिन देशों में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हुआ है, वहां पर ये ट्रेंड ज्यादा देखने को मिल रहा है. भारत में भी एक्सपर्ट मान रहे हैं कि मामले ज्यादा होने पर हेल्थ सिस्टम पर बोझ बढ़ सकता है.

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