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बेहतर तैयारी से कम किया जा सकता है कोरोना की तीसरी लहर का कहर, SBI इकोरैप ने दिया सुझाव
Deepa Sahu
3 Jun 2021 5:10 PM GMT
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कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप बच्चों पर होने की आशंका के बीच ही एसबीआइ इकोरैप ने 12 से 18 साल के बच्चों के टीकाकरण पर जोर लगाने का सुझाव दिया है।
नई दिल्ली, कोरोना की तीसरी लहर का प्रकोप बच्चों पर होने की आशंका के बीच ही एसबीआइ इकोरैप ने 12 से 18 साल के बच्चों के टीकाकरण पर जोर लगाने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट का मानना है कि इस वर्ग समूह में 17 करोड़ लोगों को टीका लग जाए तो तीसरी लहर पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकेगी। एसबीआई इकोरैप ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना से लड़ाई में अगर हमारी तैयारी बेहतर रही तो दूसरी लहर की तुलना में गंभीर मरीजों की संख्या काफी कम हो सकती है।
20 फीसद मरीज गंभीर
दूसरी लहर में 20 फीसद मरीज गंभीर थे। तीसरी लहर में पांच फीसद ही गंभीर मरीज रह सकते हैं। इससे कोरोना की वजह से होने वाली मौतें सिमटकर 40,000 रह सकती हैं। कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 1.7 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
मृत्यु दर 0.2 फीसद रहने की आशंका
रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी लहर में मृत्यु दर 0.2 फीसद रहने की आशंका है जबकि दूसरी लहर में मृत्यु दर एक फीसद रही। तीसरी लहर में गंभीर मरीजों की मृत्यु दर 20 फीसद रह सकती है जबकि दूसरी लहर में 25 फीसद गंभीर मरीजों की मौत हो गई।
बच्चों के संक्रमित होने की आशंका
रिपोर्ट में कहा गया कि देश में 12-18 साल के बच्चों की संख्या 15-17 करोड़ है। तीसरी लहर के दौरान बच्चों के संक्रमित होने की प्रबल आशंका जताई जा रही है। इसे देखते हुए भारत को विकसित देशों की तरह बच्चों के सौ फीसद टीकाकरण के लिए टीके की अग्रिम खरीदारी की रणनीति अपनाने की जरूरत है।
ज्यादा दिन रही दूसरी लहर
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों में तीसरी लहर की औसत अवधि 98 दिनों की रही जबकि दूसरी लहर की औसत अवधि 108 दिनों की।
ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के दौरान टियर-तीन और टियर-चार शहरों में कोरोना की पहली लहर के मुकाबले मरने वालों की संख्या अधिक रही। दूसरी लहर में ग्रामीण और अर्धग्रामीण इलाके पहली लहर की तुलना में अधिक प्रभावित हुए।
जीडीपी में कम नुकसान
इस कारण कोरोना की दूसरी लहर के कारण पहली लहर के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम नुकसान होगा। कोरोना की पहली लहर में शहरी इलाके अधिक प्रभावित हुए थे जिससे आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से प्रभावित हुई थीं। रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी लहर से जीडीपी को होने वाले नुकसान में इस बार गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल, राजस्थान व उत्तराखंड जैसे राज्यों की हिस्सेदारी अधिक होगी।
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