गाजियाबाद से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जिले में कोरोना की वजह से घर में बंद पांचवीं क्लास के एक छात्र ने अपने स्कूल के जूम अकाउंट पर लिखा कि उसका जल्द ही अपहरण कर लिया जाएगा। इससे न केवल उसके परिवार के सदस्यों बल्कि शिक्षकों के बीच भी चिंता बढ़ गई। गाजियाबाद के नंदग्राम के 10 साल के बच्चे ने अपने दादा के मोबाइल का इस्तेमाल करके अपनी दादी को इसी तरह का मैसेज भेजा। एक महीने में यह दूसरा मौका है जब किसी बच्चे ने अपने ही परिवार के सदस्यों को ऐसी मनगढ़ंत धमकी दी है। दोनों ही मामलों में, बच्चे कोविड की वजह से घरों के अंदर सीमित रहने, माता-पिता से पढ़ाई करने और ज्यादा देर तक टीवी न देखने देने की वजह से परेशान थे।
6 अगस्त को नंदग्राम के लड़के की क्लास टीचर ऑनलाइन क्लास के दौरान एक मैसेज देखकर हैरान रह गईं। टीचर की विंडो पर मैसेज दिख रहा था, 'आपके बेटे का जल्द ही अपहरण कर लिया जाएगा।' चिंतित शिक्षक ने लड़के की मां, जो गाजियाबाद में एक निजी कंपनी की कर्मचारी हैं को फोन किया और धमकी भरे मैसेज के बारे में बताया। जब मां ने लड़के से इस बारे में पूछा तो उसने अनभिज्ञता जताई। जिससे उन्हें शक हुआ कि उनका अकाउंट हैक हो गया। इसके बाद लड़के की मां ने उसके पिता को फोन किया, जो उत्तराखंड में एक पैकेजिंग फर्म में काम करते हैं। स्कूल प्रशासन ने तीन बार लड़के के जूम का पासवर्ड बदला, लेकिन मैसेज आने नहीं रुके। अपहरण की धमकी अगले कुछ दिनों तक स्क्रीन पर बार-बार आती रही। एक दिन सुबह, लड़के ने अपने दादा का फोन लिया और दादी के नंबर पर इसी तरह की धमकी भेज दी। उसने अपनी दादी के फोन से भी इसी तरह का मैसेज भेजा। अपने दादा-दादी को ये मैसेज भेजते समय लड़के ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए 'लड़के' की जगह 'पोते' शब्द का इस्तेमाल किया।
लड़के की मां ने 10 अगस्त को पुलिस से संपर्क किया और साइबर सेल की एक टीम उनके घर पहुंची। जब लड़का अपनी ऑनलाइन कक्षा ले रहा था, तब कुछ पुलिस वाले कमरे में रुके थे। पुलिसवालों ने देखा कि उस दौरान जूम पर कोई भी धमकी वाला मैसेज नहीं आया। इसके बाद 9 साल के बच्चे से पूछताछ की गई तो उसने स्वीकार किया कि ये मैसेज वह खुद भेज रहा था।
इंदिरापुरम के अंचल अधिकारी एवं साइबर सेल प्रभारी अभय मिश्रा ने कहा, 'अपने दादा-दादी को मैसेज भेजते समय, लड़के ने कुछ पारिवारिक जानकारी और यहां तक कि उनके बैंक अकाउंट की डिटेल्स भी बताईं। पूछताछ के दौरान जो सामने आया वह वास्तव में चिंताजनक था। बच्चे जिसके माता-पिता अपना ज्यादातर समय ऑफिस में बिताते हैं, उनके बारे में उसने कहा कि वह उन्हें बहुत याद करता है। वहीं जिन दादा-दादी के साथ वह पूरा दिन रहता है, वे महामारी की वजह से उसे न तो बाहर जाने देते हैं और न ही देर तक कार्टून देखने देते हैं। वह इससे नाराज था। इसके अलावा वह अपने नाना-नानी के पास जाना चाहता था।'