भारत
सरकार ने कोवैक्सीन लेने वालों को विदेश यात्रा की अनुमति नहीं मिलने की विवाद को बताया बेबुनियाद
Apurva Srivastav
22 May 2021 5:48 PM GMT
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कोवैक्सीन को एक बार फिर बेवजह विवाद में घसीटने की कोशिश शुरू हो गई है।
कोवैक्सीन को एक बार फिर बेवजह विवाद में घसीटने की कोशिश शुरू हो गई है। इस बार कोवैक्सीन लेने वालों को विदेश यात्रा की अनुमति मिलने पर संदेह जताया गया है। वहीं सरकार ने तत्काल ऐसे कयासों का खंडन करते हुए साफ कर दिया कि अभी तक विदेश यात्रा के लिए वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोई गाइडलाइन बनाई ही नहीं है। कोवैक्सीन पर विवाद को नया शिगूफा बताते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि पूरी तरह से भारत में विकसित वैक्सीन को लेकर शुरू से ही विवाद खड़ा करने की कोशिश की जाती रही है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इसे बीजेपी वैक्सीन तक कहा गया। उन्होंने बताया कि कोवैक्सीन को कोरोना वैक्सीन के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता मिलने की प्रक्रिया चल रही है।
दरअसल, एक खबर के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता नहीं होने के कारण कोवैक्सीन लेने वालों को दूसरे देश वीजा देने से इन्कार कर सकते हैं। जावडेकर ने कहा कि जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन को विदेश यात्रा से जोड़े जाने का कोई निर्णय ही नहीं लिया तो फिर इस तरह के बयान क्यों आ रहे हैं? उन्होंने कहा कि इस तरह विवाद खड़ा करना ठीक नहीं। कोवैक्सीन तो सबसे ज्यादा प्रभावी है। शुरुआत में कांग्रेस नेताओं ने सवाल खड़ा कर दिया था और नतीजा आज तक दिख रहा है कि कई लोग वैक्सीन लेने से हिचक रहे हैं।
आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट यात्रा का है आधार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अभी तो आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट यात्रा का आधार है। वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन में अभी तक एक राय नहीं बन पाई है। ध्यान देने की बात है कि चीन ने भी कोरोना की वैक्सीन सीनोफार्म को पिछले साल दिसंबर में लांच कर दिया था और कई देशों को इसका निर्यात भी करता रहा। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नौ मई को इसे मान्यता दी थी। इसी तरह कोवैक्सीन को मान्यता देने का आवेदन भी विश्व स्वास्थ्य संगठन में लंबित है और उस पर कभी भी फैसला हो सकता है।
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