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तीसरी लहर में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला, जाने एक्सपर्ट ने क्या कहा!

jantaserishta.com
27 Jan 2022 3:54 PM GMT
तीसरी लहर में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला, जाने एक्सपर्ट ने क्या कहा!
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मुंबई: भारत में ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के साथ कई लोगों को म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का डर सताने लगा है. पिछले साल दूसरी लहर के दौरान यह दुर्लभ इंफेक्शन कोरोना के बाद कई मरीजों की मौत का कारण बना था. म्यूकरमाइकोसिस ब्लाइंडनेस (अंधापन), ऑर्गेन डिसफंक्शन, ऊतकों के नुकसान और समय पर इलाज ना मिलने पर मौत की वजह बन सकता है. यह शरीर में प्रवेश करने वाले रास्तों जैसे कि नाक, साइनस और फेफड़े पर भी हमला कर सकता है.

डेल्टा वैरिएंट के कारण आई दूसरी लहर में हाई ब्लड शुगर और लंबे वक्त तक स्टेरॉयड पर रहने वाले कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा देखा गया था. इसके अलावा, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग या जिनका ट्रांसप्लांट हुआ था या फिर जो लंबे समय तक वेंटीलेटर पर थे, उनमें भी इसका जोखिम ज्यादा था.
म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण- नाक बंद होना या नाक बहना, गाल की हड्डी में दर्द, चेहरे के एक हिस्से में दर्द, सुन्नपन या सूजन, नाक के ब्रिज का काला पड़ना या रंग बदलना, दांतों का ढीला होना, दर्द के साथ ब्लर या डबल विजन की समस्या, थ्रोम्बोसिस, नेक्रोसिस, स्किन पर घाव, छाती में दर्द और रेस्पिरेटरी से जुड़ी दिक्कतों का बढ़ना ब्लैक फंगस के लक्षण हैं.
हाल ही में ब्लैक फंगस का पहला मामला मुंबई में दर्ज किया गया है जहां 70 वर्षीय एक बुजुर्ग जिसकी 5 जनवरी को कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आई थी, उसमें 12 जनवरी को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने शुरू हुए थे. इसके बाद मरीज को सेंट्रल मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में एडमिट किया गया जहां उसका इलाज चल रहा है.
वॉकहार्ट अस्पताल के डॉ. हनी सावला ने बताया कि मरीज को कमजोरी के चलते 12 जनवरी को अस्पताल में भर्ती किया गया था. एडमिशन के दौरान मरीज का शुगर लेवल 532 के ऊपर चला गया था. इसलिए उसे तुरंत डायबिटिक कीटोएसिडोसिस ट्रीटमेंट पर रखा गया. मरीज के घरवालों ने बताया कि वो बीते 10 दिनों से डायबिटीज की दवाएं नहीं ले रहा था. मरीज की शिकायत के तीन दिन बाद उसे गाल की हड्डियों में दर्द और चेहरे पर बाईं तरफ सूजन से म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण पता चले.
डॉ. सावला ने कहा, 'ब्लैक फंगस का पता चलने के बाद मरीज की डिब्रीडिमेंट सर्जरी हुई और उसके ऊतकों को जांच के लिए आगे भेजा गया. मरीज की हालत अब पहले से ठीक है और फिलहाल उसे इंट्रानर्वस एंटी-फंगल्स पर रखा गया है. भविष्य में भी उसे कई तरह की जांच सर्जरी के लिए भेजा जाएगा.' म्यूकरमाइकोसिस का खतरा फिलहाल बहुत बड़े पैमाने पर नहीं देखा गया है. इस पोस्ट कोविड डिसीज को लेकर कई एक्सपर्ट ने अपनी राय दी है.
मुंबई के मसीना अस्पताल की इंफेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट डॉ. त्रुप्ती गिलाडा ने कहा, 'हम जानते हैं कि म्यूकरमाइकोसिस से लंबे समय तक हॉस्पिटलाइजेशन, मध्यम से गंभीर कोविड मरीजों में लंबे समय तक कोर्टिकोस्टेरॉयड की जरूरत और हल्के इंफेक्शन में स्टेरॉयड के अंधाधुंध प्रयोग से बचने की जरूरत होती है. हालांकि ये बताना अभी बहुत जल्दबाजी होगी कि मौजूदा लहर में हम ब्लैक फंगस के मामले बढ़ते देखेंगे या नहीं.'
डॉ. गिलाडा ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि तीसरी लहर में म्यूकरमाइकोसिस के मामले बहुत थोड़े होंगे, क्योंकि ऊपर बताए गए तमाम कारक ओमिक्रॉन के साथ बहुत कम हैं. डायबिटीज मरीजों में स्टेरॉयड का सावधानी के साथ इस्तेमाल और एंटीबायोटिक्स व शुगर कंट्रोल के साथ इस जानलेवा बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
फरीदाबाद के अमेरी हेल्थ, एशियन हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फीजिशियन और इंफेक्शियस डिसीज स्पेशलिस्ट हेड डॉ. चारू दत्त अरोड़ा ने कहा, 'ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों में म्यूकरमाइकोसिस के मामले नहीं बढ़ रहे हैं. इसके अधिकांश मरीज हल्के से मध्यम लक्षण वाले ही होते हैं और इसमें इलाज के दौरान इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स जैसे कि स्टेरॉयड या हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे मामले बहुत कम हैं.'
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