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डॉक्टर बनेगा बेटा चाय बेचते है पिता, आर्थिक संकट के बावजूद ऐसे पाई सफलता

jantaserishta.com
3 Nov 2021 8:41 AM GMT
डॉक्टर बनेगा बेटा चाय बेचते है पिता, आर्थिक संकट के बावजूद ऐसे पाई सफलता
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सपना डॉक्टर बनना पर राह में हर कदम पर मुश्किलें।

कानपुर: सपना डॉक्टर बनना पर राह में हर कदम पर मुश्किलें। पिता रेलवे स्टेशन पर वेंडर हैं, चाय आदि बेचते हैं। आर्थिक संकट के बावजूद किसी तरह नीट की तैयारी में जुटे तो कोरोना हो गया। इस पर घर जाना पड़ा। वहां से आए तो हॉस्टल में रहने के पैसे नहीं थे। फिर भी हार न मानी और एक हॉस्टल की रसोई में कम पैसे देकर रहने लगे। रिजल्ट आया तो सारी मुश्किलें राहत बनकर आंखों से बरस गईं। ऑल इंडिया रैंक 9905 और ईडब्ल्यूएस रैंक 1337 है। यानी अब डॉक्टर बनना पक्का हो गया। यह कहानी है उमेश कुमार शर्मा की जो बहराइच के गांव बाऊनपुर के रहने वाले हैं।

पढ़ाई के लिए पहले लखनऊ और फिर कानपुर आ डटे। यहां साल भर पहले काकादेव की एक कोचिंग में मात्र 500 रुपये फीस पर प्रवेश हो गया। रहने की जगह नहीं थी तो एक हॉस्टल की रसोई में अड्डा जमाया, जहां रहने के लिए दो हजार रुपये देने पड़ते थे। यह पैसा भी कोचिंग देता रहा। उमेश बताते हैं, पिता कृष्णानन्द शुक्ला के कहने पर बीएससी करना पड़ा। उसी दौरान किडनी में पथरी हो गई। पिता जी ने कहा कि पहले ऑपरेशन कराओ तो आगे पढ़ाई करने देंगे। डॉक्टर बनने की तैयारी के कारण ऑपरेशन करा लिया। कक्षा 10 में 73 और 12वीं में 80 प्रतिशक अंक लाने वाले उमेश कहते हैं कि किसी न किसी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल जाएगा। वह बताते हैं कि न्यू लाइट कोचिंग के डायरेक्टर डॉ. एसपी सिंह ने मात्र 500 रुपये फीस ली और रहने व खाने का खर्च उठाया। डॉ. सिंह ने बताया कि वह उमेश की मेडिकल की पढ़ाई का पूरा खर्च भी उठाएंगे।
कल्याणपुर में रहने वाले श्रेयस सिंह की एआईआर 1864 है। वह केजीएमयू या बीएचयू में प्रवेश लेगा। सर्जन बनने की इच्छा है। बड़ी बहन प्रवता सिंह जीएसवीएम में जेआर हैं। उन्हीं से डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। पिता जय राम सिंह और माता प्रमिला सिंह के इस होनहार बेटे का मानना है कि ऑफलाइन क्लास की जगह ऑनलाइन क्लास नहीं ले सकती।
आर्यांश द्विवेदी की 3124 वीं रैंक आई है। चौबेपुर निवासी आर्यांश बताते हैं कि अक्सर कोचिंग आने और जाने में टेंपो, ट्रक और ट्रेन की सवारी करनी पड़ती थी। कोचिंग में अक्सर देर तक पढ़ाई के कारण सबकुछ करना पड़ा। आर्यांश के पिता अजीत कुमार एयरफोर्स में रहे हैं लेकिन अब जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक हैं। बायो के साथ इंटर में मैथ्स भी थी। एम्स या केजीएमयू में प्रवेश लेने की इच्छा है।
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