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किसान ने दी आत्मदाह करने की चेतावनी, पैसा पटाने के बाद भी बैंक ने बताया कर्जदार

Nilmani Pal
11 Jan 2022 1:51 AM GMT
किसान ने दी आत्मदाह करने की चेतावनी, पैसा पटाने के बाद भी बैंक ने बताया कर्जदार
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मध्य प्रदेश के किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला शिवपुरी जिले का है. जहां पर कृषि कर्ज (Farm Loan) और बैंक अधिकारियों के रवैये से परेशान कुछ किसान पेट्रोल और सल्फास लेकर आत्मदाह करने दी धमकी देते हुए बैंक शाखा पहुंच गए. आरोप है कि क्रेडिट कार्ड (KCC-Kisan Credit Card) योजना के तहत लिया गया लोन वापस करने के बावजूद बैंक अपने रिकॉर्ड में उन्हें कर्जदार बनाए हुए है और अवैध तरीके से वसूली का दबाव बना रहा है. परेशान किसानों (Farmers) का कहना है कि उनका कर्ज माफ कर उनकी जमीन बंधन मुक्त नहीं की गई तो वे बैंक परिसर में ही आत्मदाह कर लेंगे. उन्होंने बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी पर किसानों से रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है. जिसे मैनेजर ने खारिज कर दिया है.

यहां कोलारस की बिंदल मार्केट स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम के तहत लोन लेने वाले कई किसानों ने समझौता योजना के तहत एक साल पहले अपना 1-1 लाख रुपए का कर्ज चुका दिया है. इसके बाबजूद बैंक के दस्तावेजों में वह आज तक कर्जदार ही बने हुए हैं. बैंक लगातार कर्ज वसूली के लिए दबाब बना रहा है. यही वजह है कि सोमवार को ऐजवारा क्षेत्र के किसान धनपाल यादव, नेपाल सिंह एवं शिवराज यादव हाथ में सल्फास की गोली और पेट्रोल की बोतल लेकर आत्महत्या करने के लिए बैंक शाखा पहुंच गए.

इसे देख ब्रांच पर खूब हंगामा हुआ. हालांकि, समझौता योजना में किसानों और बैंक के बीच मध्यस्थता करने वाले ब्रजेश यादव के आश्वासन के बाद किसान मान गए और अनहोनी होते-होते बची. लेकिन किसानों का कहना है कि उनका कर्ज माफ कर उनकी जमीन बंधन मुक्त नहीं की गई तो वे बैंक परिसर में आत्मदाह करेंगे. किसानों का आरोप है कि उन्होंने बैंक मैनेजर द्वारा मांगी गई 50-50 हजार रुपए की रिश्वत नहीं दी है, यही कारण है कि बैंक अधिकारियों ने उनका कर्ज माफ नहीं किया है. अगर वह रिश्वत की राशि दे देते तो शायद उन्हें एक साल से परेशान नहीं होना पड़ता.

किसानों का कहना है कि जब बैंक ने समझौता योजना के तहत उनसे समझौता किया था तब उनके पास पैसा नहीं था. ऐसे में उन्होंने बाजार से 5 प्रतिशत के ब्याज पर कर्ज उठा कर बैंक का कर्ज चुकाया था, लेकिन अब हालत यह है कि वे बैंक के कर्ज से तो मुक्त नहीं हुए, साहूकार के कर्जदार और बन गए. इस पूरे मामले में ब्रांच मैनेजर कन्हैया लाल अग्रवाल का कहना है कि किसानों से समझौता हुआ था. उनका पैसा उनके खाते में जमा है, लेकिन तभी से योजना बंद पड़ी है. यही वजह है कि उनका समझौता फैल हो गया है. रिश्वत मांगने संबंधी आरोप निराधार हैं.


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