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आर्थिक तंगी से जूझ रहा नेताजी के सैनिक का परिवार, अंग्रेजी शासन में 18 महीना जेल में कटा, सरकार से लगाई ये गुहार

jantaserishta.com
23 Jan 2022 12:22 PM GMT
आर्थिक तंगी से जूझ रहा नेताजी के सैनिक का परिवार, अंग्रेजी शासन में 18 महीना जेल में कटा, सरकार से लगाई ये गुहार
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ढाका की चट्टग्राम जेल में बंद रहे थे खितिज चंद्र राय.

हुगली: पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में श्रीरामपुर के आजाद हिंद फौज (Azad Hind Fauj) के वीर सिपाही खितिज़ चंद्र के परिवार के पास पक्का घर तक नहीं है. खितिज चंद्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के वीर सेनानी रहे. अंग्रेजी शासन में 18 महीने तक ढाका की चट्टग्राम जेल में बंद रहे.

वहां से पलायन कर खितिज चंद्र आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे. आज उनका परिवार दो कमरे के बांस व टाली के मकान में राज्य सरकार द्वारा दी जा रही 3000 रुपये की पेंशन से गुजर बसर कर रहा है. नेताजी के सैनिक के दो बेटे हैं. आजाद हिंद फौज के वीर सिपाही के परिवार ने सरकार से मदद की भी गुहार लगाई है.


आज 23 जनवरी को देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (Netaji Subhash Chandra Bose's birth anniversary) मना रहा है. देश की आजादी की लड़ाई में जिस आजाद हिंद फौज की शहादत की बदौलत देश में स्वाधीनता की इमारत खड़ी हुई है, उसी वीर सैनिक के घर 1978 में चटगांव शस्त्रागार लूटकांड के नायक गणेश घोष पधारे थे.
नेताजी के सैनिक खितिज चंद्र दास को देश की राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले जयप्रकाश नारायण, आजाद हिंद फौज के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शरत चंद्र बोस, अमियो बोस का सानिध्य प्राप्त था. बंगाल की सरकार उनके परिवार को प्रतिमाह तीन हजार रुपये पेंशन देती है.
श्रीरामपुर के महेश कॉलोनी के रहने वाले खितिज़ चंद्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सहयोगियों में से एक थे. उन्होंने अपने जीवन के 18 बहुमूल्य महीने ढाका के चट्टग्राम जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ साल 1942 में बिताए थे. 18 महीने बाद वे जेल से फरार हो गए थे. साल 1946 में कोलकाता से अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर अलीपुर सेंट्रल जेल में डाल दिया.


दो बेटों अभिजीत और अपूर्व के साथ श्रीरामपुर के छोटे-मोटे टूटे-फूटे मकान में रह रहीं झरना राय बताती हैं कि उनकी तरफ से केंद्र सरकार से हर स्तर पर मदद के लिए गुहार लगाई गई, लेकिन सहयोग नहीं मिला. उनके बेटे अभिजीत राय बताते हैं कि उनके पिता खितिज़ चंद्र साल 1920 में जन्मे थे. उन्होंने अपने जीवन का बहुमूल्य समय देश को समर्पित कर दिया. वे स्वाधीनता आंदोलन की लड़ाई में शामिल होने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का झंडा लहराने अपनी मां को भी छोड़कर चले गए थे.

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