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निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार मांगा, जानिए क्या है वजह?

HARRY
9 Sep 2021 8:14 AM GMT
निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार मांगा, जानिए क्या है वजह?
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निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार से फर्जीवाड़ा करने वाली राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार देने की मांग की है. चुनाव आयोग ने ऐसी मांग पहली बार नहीं की. 1999 से ही आयोग सभी सरकारों और कानून मंत्रियों को समय आने पर इस मांग और जरूरत के बारे में बताता रहा है.

आयोग के सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने निर्वाचन आयोग के बारे में गहराई से जानने की जिज्ञासा जताई थी. इसके बाद उप आयुक्त स्तर के एक अधिकारी उनसे मिलने भी गए थे. इस दौरान उप आयुक्त ने कानून मंत्री को चुनाव सुधार को लेकर अपनी मांग और जरूरत के बारे में बताया था. चुनाव आयोग ने कानून मंत्री से मांग की थी कि आयोग को कानून के उल्लंघन का दोषी साबित होने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का भी अधिकार मिले.
अभी क्या है नियम?
अभी तक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के मुताबिक आयोग को राजनीतिक दलों का निबंधन करने का अधिकार है, लेकिन दोषी पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का नहीं है. ऐसे में इन अधिकारों का मिलना जरूरी है. आयोग को ये अधिकार दिए जाने की मांग की पुष्टि और समर्थन विधि आयोग अपनी रिपोर्ट में भी कर चुका है.
कई पार्टियां सिर्फ कागजों पर चल रहीं
आयोग ने कानून मंत्री को बताया कि उनकी जांच में सामने आया है कि कई राजनीतिक पार्टियों ने 2005 से कोई चुनाव नहीं लड़ा. वे सिर्फ कागजों पर चलने वाली पार्टी हैं. इनका काम राजनीतिक चंदे के नाम पर भ्रष्ट धनवानों के काले धन को राजनीतिक चंदे के नाम पर सफेद करना है. आयोग ने ऐसी 200 के करीब पार्टियों को लिस्ट से हटाया है. लेकिन अधिकार ना होने के चलते इनका रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं हो सका है. आयोग ने बताया कि देशभर में 3000 से ज्यादा राजनीतिक पार्टियां रजिस्टर्ड हैं. 8 राजनीतिक पार्टियों को राष्ट्रीय मान्यता मिली है. इनमें से 53 पार्टियां राज्य स्तरीय हैं.
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