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एनआईए के स्पेशल कोर्ट का आया फैसला, आरोपी को मिली ये सजा
jantaserishta.com
12 Feb 2022 5:22 AM GMT
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रांची: बांग्लादेश के प्रतिबंधित आंतकी संगठन अंसारउल्लाह बंगाल टीम (एबीटी) ने देशविरोधी गतिविधियों के संचालन के लिए रांची में अपने छिपने का ठिकाना बनाया था। एनआईए के स्पेशल कोर्ट ने एनआईए दिल्ली कांड संख्या आरसी 11/2018 में बांग्लादेश सियालहट के सुनामगंज निवासी समद मियां उर्फ तनवीर उर्फ शैभफुल उर्फ तुषार विश्वास को दोषी पाया है। आईपीएस, यूएपीए, फॉरेन एक्ट की अलग-अलग धाराओं में कोर्ट ने समद मियां को दोषी पाते हुए सात साल की कैद व 16 हजार फाइन की सजा सुनायी है।
एनआईए के अधिकारियों के मुताबिक, साल 21 नवंबर 2017 को कोलकाता एसटीएफ ने आतंकी संगठन अंसारउल्लाह बंगला टीम के चार बांग्लादेशी व एक भारतीय सदस्य को गिरफ्तार किया था। 1 मार्च 2018 को इस केस की जांच एनआईए ने टेकओवर की थी। एनआईए ने जांच में पाया था कि साल 2016 में एबीटी के बांग्लादेशी सदस्य अवैध तरीके से भारत आए थे। भारत आने के बाद इन लोगों ने भारत में देशविरोधी गतिविधियों की साजिश रचनी शुरू की।
इस दौरान आतंकी संगठन के सदस्यों ने हैदराबाद, पुणे और मुंबई में मजदूर बनकर कई जगहों की रेकी की। वारदातों को अंजाम देने के लिए पटना में कुछ दुकानों से विस्फोटक बनाने के लिए केमिकल्स की खरीद की गई थी। गिरोह के सदस्यों ने कोलकाता में भी हथियार और कारतूस खरीदने की कोशिश की थी। वहीं, गिरोह के चार सदस्यों ने पहचान छिपाकर रांची में भी अपना ठिकाना बनाया था। गिरोह के सदस्य छद्म नामों से रांची में रहा करते थे। इस मामले में बाकी आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है।
राज्य पुलिस के स्पेशल ब्रांच ने भी पूर्व में अंसारउल्लाह बंगला टीम की सक्रियता को लेकर रिपोर्ट की है। संताल परगना के जिलों साहिबगंज, पाकुड़ में पूर्व में स्पेशल ब्रांच ने कुछ लोगों को चिन्हित किया था। स्पेशल ब्रांच के द्वारा उन चिन्हित लोगों पर नजर रखी जाती थी।
रांची में बड़े आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल की सक्रियता रही है। इंडियन मुजाहिदीन और सिमी जैसे संगठनों के एक दर्जन से अधिक लोगों को अबतक आतंकी गतिविधियों में सजा भी मिल चुकी है। हाल ही में अहमदाबाद ब्लास्ट की सुनवाई के दौरान भी यह तथ्य सामने आया था कि रांची में इस ब्लास्ट को अंजाम देने वाले आतंकियों ने शरण ली थी।
रांची में इंडियन मुजाहिदीन के भटकल बंधुओं, तहसीन अख्तर समेत कई लोग फर्जी नामों से रहा करते थे। वहीं, साल 2013 में पटना में गांधी मैदान में ब्लास्ट और बोधगया ब्लास्ट में भी रांची के सीठियो मॉडयूल के आतंकियों को दोषी पाया गया था। कोलकाता में अमेरिकन सेंटर पर हमला के आरोपियों के तार भी चतरा से जुड़े थे। वहीं, चतरा के अबू सुफियान के कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान जाने की पुष्टि जांच एजेंसियां पूर्व में कर चुकी हैं।
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