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मां की मौत, अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होने पर बेटे ने दी जान, पूरे गांव में छाया मातम
jantaserishta.com
27 Jun 2021 3:50 AM GMT
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बड़े दुख की खबर है.
देवघर. झारखंड से बड़े दुख की खबर है. दिल को हिला देने वाली इस खबर में एक बेटे ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके पास मां के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे. लॉकडाउन में उसे काम मिलना करीब-करीब बंद हो गया था. मां-बेटे की एक साथ शवयात्रा देख पूरे गांव में मातम छाया हुआ है.
घटना देवघर जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र के चरकीपहाड़ी गांव की है. यहां शनिवार को को किशन चौधरी की आत्महत्या के बाद कोहराम मच गया. क्योंकि उसकी मौत से पहले ही मां के शव का घर में अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा था. जानकारी के मुताबिक, किशन की मां को तीन साल पहले लकवा हो गया था. इस वजह से वे बीमार रहती थीं. शुक्रवार को उनकी तबीयत अचानक और बिगड़ने के वजह से मौत हो गई.
देर शाम नहीं हो सकता था अंतिम संस्कार
गांववालों के मुताबिक, जिस वक्त किशन की मां की मौत हुई उस वक्त बाकी पूरा परिवार सारठ के सरपत्ता गांव गया हुआ था. वहां किसी रिश्तेदार का शादी समारोह था. घर पर केवल किशन का परिवार ही था. महिला की मौत की खबर मिलते ही परिजन धीरे-धीरे घर पहुंचने लगे. चूंकि, विधान के मुताबिक दाह संस्कार देर शाम को नहीं किया जा सकता, इसलिए शनिवार सुबह का इंतजार किया जाने लगा.
परिजन देर तक खटखटाते रहे दरवाजा
इसके बाद परिवार के सभी सदस्य महिला के शव की देखरेख के चलते एक ही जगह सो गए. देर रात किशन अचानक अपने कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया. दूसरे दिन शनिवार को अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच किशन के दरवाजे को परिजनों ने खटखटाया, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला. जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला तो परिजनों को शक हुआ. परिजन छत की ओर दौड़े और देखा कि लड़की के बल्ली पर रस्सी लगी हुई और किशन का शव उस पर झूल रहा है. इसके बाद घर में मातम और गहरा गया.
जैसे-तैसे गुजारा कर रहा था परिवार
सूचना पर जसडीह पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने मां और बेटे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. परिजनों ने पुलिस को बताया कि किशन दिहाड़ी मजदूरी करता था. लॉकडाउन के कारण उसे रोज मजदूरी नहीं मिल रही थी. परिवार चलाने में भी कठिनाई हो रही थी. वह जैसे-तैसे मां की वृद्धा पेंशन और सरकारी राशन पर दिन गुजार रहा था. मां की मौत के बाद उसके पास अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं थे.
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