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फैला अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: 600 सूअरों की मौत से हड़कंप, जानें कहां?

jantaserishta.com
28 Aug 2022 5:41 AM GMT
फैला अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: 600 सूअरों की मौत से हड़कंप, जानें कहां?
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

लैब में 22 सैंपल की जांच हुई, जिसमें सभी में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है।

रांची: राज्य में बड़े पैमाने पर हो रही सूअरों की मौत का कारण अफ्रीकन स्वाइन फीवर ही है। इसका खुलासा भोपाल स्थित आईसीएआर के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज के लैब ने किया है। लैब में 22 सैंपल की जांच हुई, जिसमें सभी में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में इस फीवर की पुष्टि होने के बाद पशुपालन निदेशालय ने टोल फ्री नंबर 18003097711 जारी किया है।

पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा कि राज्य में कहीं भी सूअरों की असामान्य मृत्यु हो रही हो तो निदेशालय स्थित नियंत्रण कक्ष के टेलीमेडिसिन टोल फ्री नंबर 18003097711 पर सूचित करें। नियंत्रण कक्ष सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलता रहेगा। राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से करीब 600 सूअरों की मौत हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि कांके स्थित राज्य सरकार के सूअर फार्म के बाद यह संक्रमण बीएयू के सूअर फार्म में भी पहुंच चुका है।
फार्म इंचार्ज रविंद्र कुमार के अनुसार यहां अबतक लगभग डेढ़ दर्जन सूअरों की मौत हो चुकी है, जबकि राज्य सरकार के फार्म में लगभग 500 सूअरों की मौत हो चुकी है। बता दें कि अगस्त के शुरूआत में सबसे पहले खलारी के कई गांवों में दर्जनों सूअरों की मौत हुई थी। लेकिन फिलहाल खलारी में यह बीमारी नियंत्रण में है। इसके साथ ही राज्य के कई जिलों सूअरों की मौत तो हुई है, लेकिन विभाग में इसकी रिपोर्टिंग नहीं है।
निदेशक ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर का अभी तक न तो कोई टीका है, न ही कोई इलाज। संक्रमण होने के 24 घंटे के अंदर सूअर की मौत हो जाती है। यह बीमारी सूअर से न तो किसी अन्य जानवर में फैलता है, न ही आदमी में इसका संक्रमण होता है। लेकिन संक्रमित सूअर के संपर्क में आने वाला आदमी या जानवर इसका कैरिअर जरूर हो जाता है, जिससे अन्य सूअरों में फैलता है। इसे देखते हुए मरे सूअरों को पूरी सावधानी के साथ जलाकर दफनाने का निर्देश दिया गया है। साथ सूअरों की खरीद बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया गया है।
बता दें कि बीते तीन अगस्त को खलारी व कांके से सूअरों के सैंपल कलेक्ट कर कोलकाता भेजे गए थे। कोलकाता में जांच नहीं होने पर सैंपल भोपाल भेजे गए। लेकिन खलारी से भेजे गए सैंपल मानक के अनुरूप नहीं होने के कारण उसकी जांच नहीं हो सकी। केवल कांके से भेजे गए 22 सैंपलों की ही जांच हुई। जिसमें सभी में अफ्रिकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है।
पशुपालन निदेशक शशि प्रकाश झा ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने के बाद विभाग सचेत है। सभी डीएचओ को पत्र लिखा गया है। प्रभावित स्थल से 1 किलोमीटर व 10 किमी के क्षेत्र में एपिक जोन बनाकर एहतियाती उपाय करने का निर्देश दिया गया है। पर्यापत संख्या में पीपीई किट की आपूर्ति कर दी गई है, ताकि सूअरों की देखरेख व निस्तारण में सावधानी बरती जाए।
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