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थर्ड डिग्री के दिन अब गए: आपराधिक कानूनों में हो सकता है बड़ा बदलाव, गृहमंत्री अमित शाह ने दिया ये बयान

jantaserishta.com
13 July 2021 3:04 AM GMT
थर्ड डिग्री के दिन अब गए: आपराधिक कानूनों में हो सकता है बड़ा बदलाव, गृहमंत्री अमित शाह ने दिया ये बयान
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फाइल फोटो 

नई दिल्ली. भारत सरकार (Government of India) जल्द ही आपराधिक कानूनों में बदलाव की तैयारी कर रही है. इस बात की जानकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को दी है. उन्होंने बताया कि केंद्र दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय साक्ष्य अधियनियम को आधुनिक बनाने पर विचार कर रहा है. गुजरात पहुंचे शाह ने एक कार्यक्रम के दौरान 'थर्ड डिग्री' के बजाए वैज्ञानिक सबूतों के इस्तेमाल की बात की.

गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी (NFSU) में सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर रिसर्च एंड एनालिसिस ऑफ नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टेंसेज के उद्घाटन में पहुंचे शाह ने 6 या इससे ज्यादा की सजा वाले किसी भी अपराध में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया. उन्होंने कहा, 'मेरा बहुत पुराना सजेशन रहा है कि 6 साल के ऊपर सजा वाले सभी अपरादों में फॉरेंसिक साइंस का विजिट कंपल्सरी करना है. दिखने में तो बहुत सुनहरा सपना है , लेकिन मेनपावर कहां हैं.'
गृहमंत्री ने कहा, 'भारत सरकार अभी एक बहुत बड़ा संवाद कर रही है... कि हम सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट... तीनों में आमूल चूल परिवर्तन करना चाहते हैं, आज के समय के हिसाब से उसको हम आधुनिक बनाना चाहते हैं.' उन्होंने कहा, 'मैंने कई बार दोहराया है कि थर्ड डिग्री के दिन पूरे हो गए है... पूछताछ... वैज्ञानिक सबूत के जरिए किसी कठोर व्यक्ति को भी तोड़ा जा सकता है और अगर फॉरेंसिक काम ठीक से हो, तो उसे आरोपी बनाया जा सकता है.'
शाह ने वैज्ञानिक आधार पर जांच को लेकर कहा, 'मैं हाल ही में ट्रेनी आईपीएस से बात कर रहा था और मैंने उन्हें बताया कि हमारी पुलिस दो तरह के आरोपों का सामना करती है. पहला कोई कार्रवाई ना करना, दूसरा बहुत कड़ी कार्रवाई करना... हम केवल प्राकृतिक कार्रवाई चाहते हैं. और यह तभी मुमकिन है, जब हम वैज्ञानिक सबूत को हमारी जांच का बड़ा आधार बनाएं.'
उन्होंने नए सेंटर को लेकर कहा, 'इस देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस तरह के केंद्र को स्थापित करने की काफी जरूरत थी... 21वीं सदी में भारत के सामने कई चुनौतियां हैं और उन्हें पार करने के लिए हमें हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को व्यवस्थित करना होगा.'
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