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जिस दिन मनुष्य अपने सौभाग्य को ही अपना निजी कर्त्वय मानने लगता है...राज ठाकरे ने किया तीखा हमला

jantaserishta.com
30 Jun 2022 8:46 AM GMT
जिस दिन मनुष्य अपने सौभाग्य को ही अपना निजी कर्त्वय मानने लगता है...राज ठाकरे ने किया तीखा हमला
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

मुंबई: उद्धव ठाकरे के सीएम पद से इस्तीफे के बाद उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के एक ट्वीट पर चर्चाएं तेज हैं। राज ठाकरे ने भले ही उद्धव ठाकरे समेत किसी का भी जिक्र नहीं किया, लेकिन उनके ट्वीट को सियासी घटनाक्रम से ही जोड़कर देखा जा रहा है। राज ठाकरे ने लिखा है, 'जिस दिन मनुष्य अपने सौभाग्य को ही अपना निजी कर्त्वय मानने लगता है। उस दिन से पतन का प्रवास शुरू हो जाता है।' यही नहीं इस पंक्ति के नीचे राज ठाकरे के हस्ताक्षर भी दर्ज हैं। मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में किए गए राज ठाकरे के इस ट्वीट को मुख्यमंत्री पद पर उद्धव की अधूरी पारी पर तंज के तौर पर देखा जा रहा है।

इससे पहले राज ठाकरे ने बुधवार को ऐलान किया था कि सदन में फ्लोर टेस्ट की स्थिति में उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एकमात्र विधायक भाजपा का समर्थन करेगा। साफ है कि सरकार गठन के लिए भाजपा के दावे में उनके विधायक का नाम शामिल रहेगा। इस बीच उनके इस ट्वीट ने ठाकरे फैमिली में छिड़े युद्ध की ही कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले एकनाथ शिंदे की बगावत के बीच भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की ओर से मुंबई में कुछ पोस्टर लगाए गए थे। इन पोस्टरों में मराठी में लिखा था, 'अब आपको कैसा महसूस हो रहा है?' उन पोस्टरों को भी शिवसेना की कलह पर तंज के तौर पर ही देखा गया था।
बता दें कि उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद उनकी धुर आलोचक रहीं सांसद नवनीत राणा का भी बयान आया है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने कि वह आखिरी वक्त तक लालच में रहे वरना इस्तीफा तो उन्हें तभी दे देना था, जब 40 विधायक छोड़कर चले गए थे। नवनीत राणा ने कहा था, ''शिवसेना बालासाहेब ठाकरे ने बनाई थी, लेकिन उद्धव ठाकरे ने 56 साल की उनकी मेहनत पर ही पानी फेर दिया। अपने अहंकार के चलते उन्होंने पार्टी का यह हाल किया है।' नवनीत राणा ने कहा कि उद्धव ठाकरे के पास सिर्फ संजय राउत, अनिल परब और आदित्य ही बाकी रह गए हैं। ये लोग भी मजबूरी में हैं। इसकी वजह यही है कि उन्होंने जिस तरह से लोगों पर अत्याचार किए हैं। मुझे 14 दिनों तक जेल में काटने पड़े, लेकिन मेरा दोष ही क्या था? यही कि मैंने हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कही थी।'


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