भारत

अदालत का अहम फैसला आया, लेट नाइट बाहर घूमने वाले ध्यान दें!

jantaserishta.com
20 Jun 2022 6:55 AM GMT
अदालत का अहम फैसला आया, लेट नाइट बाहर घूमने वाले ध्यान दें!
x

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: कहते हैं मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जिंदगी दिन-रात चलती है. रात के किसी पहर भी सड़कों पर लोग नजर आते हैं. लेकिन कई बार लेट नाइट घूमने वाले लोगों को कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ जाता है. ऐसे ही एक मामले में मुंबई की लोकल अदालत का फैसला आया है.

अदालत ने लेट नाइट घूमने और चेहरा छुपाने से जुड़े केस पर सुनवाई करते हुए आरोपी को बरी कर दिया. साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में जो टिप्पणियां कीं, वो भी काफी अहम हैं.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि अगर कर्फ्यू न लगा हो तो मुंबई जैसे शहर में देर रात बाहर सड़कों पर घूमना कोई गुनाह नहीं है.
ये घटना दक्षिण मुंबई की है. पुलिस ने उत्तर प्रदेश के रहने वाले 29 वर्षीय युवक सुमित कश्यप के खिलाफ 13 जून को केस दर्ज किया था. पुलिस का दावा था कि सुमित एक सड़क पर बैठा था और उसने रुमाल से अपना चेहरा ढकने का प्रयास किया. जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 122-बी के तहत युवक के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
ये धारा तब लागू होती है जब सूरज ढलने के बाद से सूर्योदय के बीच कोई जुर्म करने की मंशा से अपना चेहरा ढकता है.
मामला जब मुंबई के गिरगांव मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पहुंचा तो पुलिस यहां फेल हो गई. कोर्ट ने 16 जून को आदेश सुनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया.
आदेश सुनाते वक्त मजिस्ट्रेट नदीम पटेल ने कहा, ''आरोपी को रात करीब 1.30 बजे गिरफ्तार किया गया. मुंबई जैसे शहर में 1.30 बजे का टाइम उतना लेट नहीं है. सड़क पर कोई भी खड़ा हो सकता है, ऐसे में इसे ये नहीं माना जा सकता कि जुर्म करने के लिए चेहरा छुपाया गया.''
इससे आगे कोर्ट ने कहा, ''अगर ये मान भी लिया जाए कि 1.30 बजे का वक्त काफी लेट है तब भी स्ट्रीट पर घूमना क्राइम नहीं है, अगर वहां कोई कर्फ्यू लागू न हो तो. चूंकि, मुंबई में कोई नाइट कर्फ्यू नहीं था, लिहाजा अगर आरोपी सड़क पर खड़ा था, तो ये जुर्म नहीं है.''
दरअसल, पुलिस ने दलील दी थी कि आरोपी शख्स रुमाल से अपना चेहरा छुपा रहा था. कोर्ट ने इस तर्क को दरकिनार कर दिया.
कोर्ट ने कहा, ''ये कोरोना काल है और लोग सुरक्षा की दृष्टि से मास्क पहनते हैं. हालांकि, मास्क जरूरी नहीं है लेकिन मास्क पहनने की एडवाइजरी है. अगर किसी के पास मास्क नहीं होता है तो वो रुमाल को मास्क की तरह इस्तेमाल कर लेता है. लिहाजा, अगर आरोपी ने रुमाल को मास्क की तरह उपयोग किया तो इसका मतलब ये नहीं कि उसने अपनी पहचान छुपाई.''
कोर्ट में पुलिस अपने आरोप को साबित करने के लिए कोई ठोस कारण नहीं दे पाई, जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया.
Next Story