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बेटी संपत्ति नहीं है, जिसे दान कर दें: कोर्ट को चला पता, पीड़िता के पिता ने बाबा को दान में दिया, दिया ये आदेश

jantaserishta.com
28 Jan 2022 11:15 AM GMT
बेटी संपत्ति नहीं है, जिसे दान कर दें: कोर्ट को चला पता, पीड़िता के पिता ने बाबा को दान में दिया, दिया ये आदेश
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जानिए पूरा मामला।

औरंगाबाद: महाराष्ट्र के जालना से चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक पिता ने कन्यादान कर नाबालिग बेटी बाबा को दे दी. इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने बाल कल्याण समिति, जालना से मामले की जल्द जांच करने के लिए कहा है.

जस्टिस विभा कंकनवाड़ी ने रिपोर्ट मांग करते हुए कहा कि यह लड़की के भविष्य का सवाल है और उसे किसी भी अवैध गतिविधियों में नहीं धकेला जाना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 4 फरवरी को है.
दरअसल, कोर्ट में महाराष्ट्र के जालना के बदनापुर इलाके के दो लोगों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इन दोनों आरोपियों पर नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने का आरोप है. आरोपियों का दावा है कि लड़की ने बाबा के दबाव में आकर उन पर आरोप लगाए हैं. दरअसल, नाबालिग ने दोनों आरोपियों पर 13 अगस्त को शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया था. पुलिस ने POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया था.
वहीं, आरोपियों ने बताया कि बाबा और उनके शिष्य को एक मंदिर में आश्रय दिया गया था. दो-तीन साल तक ये लोग मंदिर में पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करने थे. लेकिन कुछ दिन बाद बाबा और उसके शिष्य ने दुर्व्यवहार शुरू कर दिया. दोनों गांजा और भांग का काम करने लगे. मंदिर के आसपास नशे के लिए युवा आने लगे.
इसके बाद गांववालों ने 9 मार्च 2021 को ग्रामसभा लगाई. इस दौरान फैसला लिया गया कि बाबा और उसके शिष्य को पीड़िता लड़की और उसके पिता के साथ गांव से बाहर निकाला जाएगा. ऐसे में गांववालों ने बाबा समेत सभी को गांव से बाहर जाने के लिए कहा. ग्रामसभा में जब ये प्रस्ताव पास हुआ तो दो में से एक आरोपी भी शामिल था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को पता चला कि पीड़िता के पिता ने 'दानपात्र' किया था. इस दौरान कथित तौर भगवान की उपस्थिति में पिता ने बाबा को अपनी बेटी का कन्यादान किया था. इस पर कोर्ट ने कहा, जब लड़की अपने बयान के मुताबिक नाबालिग है और पिता उसके संरक्षक हैं. लेकिन लड़की कोई संपत्ति नहीं है जो दान में दी जा सकती है.
वहीं, आरोपियों ने सुनवाई के दौरान दावा किया कि चार्जशीट में कोई सबूत नहीं कि लड़की का जन्म कब हुआ. ऐसे में उनपर POCSO एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी दावा किया कि पीड़िता के शरीर पर भी कोई निशान नहीं थे. दूसरी ओर पीड़ित पक्ष की ओर से कहा गया कि शिकायत में नाबालिग ने अपनी जन्म तिथि बताई थी और इसकी आधार कार्ड से पुष्टि की गई थी.
वहीं, कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दाखिल हो गई है, ऐसे में जांच पूरी हो चुकी है और आरोपियों को हिरासत में रखने की कोई जरूरत नहीं है. कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी.
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