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आज ही के दिन शुरू हुई थी देश की पहली विमान सेवा...88 साल पहले टाटा ने किया था इस शख्स के साथ

Gulabi
15 Oct 2020 3:37 PM GMT
आज ही के दिन शुरू हुई थी देश की पहली विमान सेवा...88 साल पहले  टाटा ने किया था इस शख्स के साथ
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88 साल पहले देश की पहली विमान सेवा आज ही के दिन शुरू हुई थी. यानि 15 अक्टूबर 1932 के दिन.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 88 साल पहले देश की पहली विमान सेवा आज ही के दिन शुरू हुई थी. यानि 15 अक्टूबर 1932 के दिन. जेआरडी टाटा और नेविल विंसेंट ने मिलकर टाटा सन्स लिमिटेड के तले ये विमान सेवा शुरू की थी. इसके बाद लंबे समय तक टाटा भारत के आकाश में अपनी विमान सेवा के साथ छाए रहे.





आजादी के बाद भारत सरकार इसका अधिग्रहण कर लिया था. हालांकि इसे नाम एयर इंडिया उससे पहले ही मिल चुका था. दरअसल नेविल विंसेंट दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले थे. उन्होंने ब्रिटिश एय़रफोर्स में पायलट के तौर पर करियर शुरू किया था. रिटायर होने के बाद उन्होंने अंदाज लगा लिया था कि भारत में एविएशन सेक्टर के अब फलने फूलने के दिन आ गए हैं.

जेआरडी को ये योजना तुरंत पसंद आ गई

हालांकि नेविल ने विमान सेवा शुरू करने के लिए भारत में 20 और 30 के दशक में कई भारतीय व्यावसायियों से मिलकर कोशिश की लेकिन उनकी योजना से बड़े भारतीय कारोबारी प्रभावित नहीं थे. तब जेआरडी टाटा को ये योजना पसंद आ गई. शायद उसकी वजह ये भी थी कि जेआरडी के पास खुद भी पायलट का लाइसेंस था और वो विमानों में बहुत इंटरेस्ट लेते थे.

पहली उड़ान थी कराची से मुंबई तक

जैसे ही नेविल उनके पास आए. उन्होंने अपनी योजना बताई. जेआरडी ने इसे तुरंत लपक लिया. इस विमान सेवा की पहली उडान 15 अक्टूबर 1932 को हुई. आज ही के दिन टाटा की पहली उड़ान में जेआरडी टाटा कराची से एक हवाई जहाज में मुंबई आ पहुंचे. इस हवाई जहाज में डाक थी. मुंबई के बाद विंसेंट जहाज उड़ा कर मद्रास तक ले गए.

दो छोटे विमान, तीन पायलट और तीन मैकेनिक

ये कंपनी केवल दो छोटे जहाजों के साथ शुरू की गई थी लेकिन उस समय भारत में ऐसा करना भी बहुत बड़ी बात थी. कंपनी में जेआरडी टाटा और विंसेंट के अलावा एक पायलट और था. मतलब साफ है कि टाटा और विंसेंट नियमिंत तौर पर विमान सेवा के विमानों को उड़ाने का काम करते थे. तीसरे पायलट होमी भरूचा थे. जो जाने माने पायलट थे और टाटा व विंसेंट से ज्यादा अनुभवी पायलट. वो ब्रिटिश रॉयल फोर्स में पायलट रह चुके थे. साथ ही इससे तीन मैकेनिक जुड़े हुए थे.

शुरुआत डाक के लिए हुई थी

शुरुआती दिनों में ये कंपनी केवल कराची से चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) के बीच एक साप्ताहिक सेवा चलाती थी. यह सेवा शुरुआत में डाक के लिए शुरू की गई थी. उड़ान कराची से शुरू होकर अहमदाबाद और मुंबई होते होते चेन्नई में खत्म होती थी.

पहले साल डाक के साथ 155 यात्रियों ने भी की सवारी

बहुत लंबे समय तक ये कंपनी राजस्व के लिए भारत पर काबिज ब्रितानी सरकार की डाक पर ही आश्रित थी. पहले साल कंपनी के विमानों ने लगभग 2.5 लाख किलोमीटर उड़ान भरी, जिसमें 10.71 टन डाक और 155 यात्री शामिल थे. तब इसका नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था.

फिर इसका नाम एयर इंडिया हुआ

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ये विमान सेवाएं रोक दी गईं. इसके बाद जब उनको बहाल किया गया तब तब 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस 'पब्लिक लिमिटेड' कंपनी बन गयी. उसका नाम बदलकर 'एयर इंडिया लिमिटेड' रखा गया.

आजादी के बाद भारत सरकार ने ली बड़ी हिस्सेदारी

आज़ादी के बाद यानी साल 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागेदारी ले ली थी. 'एयर इंडिया' की 30वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर 1962, को जेआरडी टाटा ने फिर कराची से मुंबई की उड़ान भरी थी. वो हवाई जहाज़ खुद चला रहे थे. मगर इस बार जहाज़ था पहले से ज़्यादा विकसित जिसका नाम 'लेपर्ड मोथ' था. फिर 50वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर 1982 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की उड़ान भी भरी थी.शुरुआती दौर में टाटा एयरलाइंस मुंबई के जुहू के पास एक मिट्टी के मकान से संचालित होता रहा. वहीं मौजूद एक मैदान 'रनवे' के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. जब भी बरसात होती या मानसून आता तो इस मैदान में पानी भर जाया करता था. पानी भर जाने की सूरत में जेआरडी टाटा अपने हवाई जहाज़ पूना से संचालित करते थे.

फिर इसका नाम एयर इंडिया हुआ

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ये विमान सेवाएं रोक दी गईं. इसके बाद जब उनको बहाल किया गया तब तब 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस 'पब्लिक लिमिटेड' कंपनी बन गयी. उसका नाम बदलकर 'एयर इंडिया लिमिटेड' रखा गया.

आजादी के बाद भारत सरकार ने ली बड़ी हिस्सेदारी

आज़ादी के बाद यानी साल 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागेदारी ले ली थी. 'एयर इंडिया' की 30वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर 1962, को जेआरडी टाटा ने फिर कराची से मुंबई की उड़ान भरी थी. वो हवाई जहाज़ खुद चला रहे थे. मगर इस बार जहाज़ था पहले से ज़्यादा विकसित जिसका नाम 'लेपर्ड मोथ' था. फिर 50वीं बरसी यानी 15 अक्टूबर 1982 को जेआरडी टाटा ने कराची से मुंबई की उड़ान भी भरी थी.

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