दिल्ली। भारत में 5जी मोबाइल इंटरनेट सेवा की शुरुआत हो चुकी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि देश की 5G तकनीक स्वदेशी है। हालांकि, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से कुछ अहम भाग आयात किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अन्य देशों के साथ भी 5जी टेक्नोलॉजी साझा करने के लिए तैयार है। जॉन्स हॉपकिन्स स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज में गुरुवार को स्टूडेंट्स के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं।
निर्मला सीतारमण ने कहा, 'भारत के 5G की कहानी जनता तक पहुंचनी बाकी है। हमने अपने देश में जो 5G लॉन्च किया है, वह पूरी तरह से स्टैंडअलोन है। कुछ जरूरी हिस्से दक्षिण कोरिया जैसे देशों से लिए गए हैं। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक है। अब हम 5G किसी भी देश को मुहैया करा सकते हैं, जो भी इसकी मांग करता है।'
वित्त मंत्री ने सीमित शहरों में 5G लॉन्च करने वाली निजी कंपनियों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि 2024 तक अधिकांश देश टेक्नोलॉजी का लाभ उठा सकेंगे। 5G को लेकर हमें भारत की उपलब्धि पर बहुत गर्व है। उन्होंने कहा, 'टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से भारत में सुशासन स्थापित किया जा रहा है, एक बदलाव आया है। पिछले 2 वर्षों में बड़े पैमाने पर इसे लोगों की स्वीकार्यता मिली है।' बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को देश में 5जी टेलीफोनी सेवाएं शुरू कीं, जिससे मोबाइल फोन पर अल्ट्रा हाई स्पीड इंटरनेट के युग का आगाज हो गया। पीएम मोदी ने भारतीय मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2022 में चुनिंदा शहरों में 5जी सेवाएं शुरू कीं। ये सेवाएं अगले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे देशभर में उपलब्ध करा दी जाएंगी। अल्ट्रा हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम पांचवीं पीढ़ी या 5जी सेवा से नए आर्थिक अवसर और सामाजिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
देश की अबतक की सबसे बड़ी दूरसंचार स्पेक्ट्रम की नीलामी में रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुई थीं। इसमें उद्योगपति मुकेश अंबानी की जियो ने 87,946.93 करोड़ रुपये की बोली के साथ बेचे गए सभी स्पेक्ट्रम का लगभग आधा हिस्सा हासिल किया है। भारत के सबसे धनी व्यक्ति गौतम अडाणी के समूह ने 400 मेगाहर्ट्ज के लिए 211.86 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। इसका इस्तेमाल हालांकि, सार्वजनिक टेलीफोन सेवाओं के लिए नहीं किया जाता है।