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'देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा'...हाई कोर्ट के जज का बयान चर्चा का विषय बना

jantaserishta.com
9 Dec 2024 7:33 AM GMT
देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा...हाई कोर्ट के जज का बयान चर्चा का विषय बना
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नई दिल्ली: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि उन्हें यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि "देश, हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक चलेगा. यह कानून है, कानून, यकीनन बहुसंख्यकों के मुताबिक काम करता है." Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें, केवल वही स्वीकार किया जाएगा, जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद.
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता (UCC) पर बोलते हुए यह विवादित बयान दिया है. इस मौके पर हाईकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश पाठक भी मौजूद थे.
मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बिना जज शेखर यादव ने कहा कि कई पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं "अस्वीकार्य" हैं. उन्होंने आगे कहा, "अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी की मान्यता दी गई है. आप चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक के अधिकार का दावा नहीं कर सकते. आप कहते हैं, हमें तीन तलाक देने और महिलाओं को भरण-पोषण न देने का अधिकार है लेकिन यह अधिकार काम नहीं करेगा."
जस्टिस यादव ने आगे कहा कि यूसीसी ऐसी चीज नहीं है जिसका वीएचपी, आरएसएस या हिंदू धर्म समर्थन करता हो. देश की टॉप अदालत भी इसके बारे में बात करती है. जस्टिस यादव ने स्वीकार किया कि हिंदू धर्म में बाल विवाह और सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयां थीं, "लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए संघर्ष किया."
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू अन्य समुदायों से समान संस्कृति और परंपराओं का पालन करने की अपेक्षा नहीं करते हैं, लेकिन उनसे "इस देश की संस्कृति, महान हस्तियों और इस भूमि के भगवान का अनादर न करने की अपेक्षा जरूर की जाती है."
जज ने कहा, "हमारे देश में हमें सिखाया जाता है कि छोटे से छोटे जानवर को भी नुकसान न पहुंचाएं, चींटियों को भी न मारें और यह सीख हमारे अंदर समाई हुई है. शायद इसीलिए हम सहिष्णु और दयालु हैं. जब दूसरे पीड़ित होते हैं, तो हमें दर्द होता है लेकिन आपकी संस्कृति में, छोटी उम्र से ही बच्चों को जानवरों के वध के बारे में बताया जाता है. आप उनसे सहिष्णु और दयालु होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?”
उन्होंने देश भर में समान नागरिक संहिता की उम्मीद जताते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में वक्त लगा, लेकिन "वह दिन दूर नहीं जब यह साफ हो जाएगा कि अगर एक देश है, तो एक कानून और एक दंडात्मक कानून होना चाहिए. जो लोग धोखा देने या अपना एजेंडा चलाने की कोशिश करते हैं, वे लंबे वक्त तक नहीं टिकेंगे."
यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विवादित बयान दिया है. इससे पहले सितंबर 2021 में, उन्होंने यह बयान देकर सुर्खियां बटोरी थी, "वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है, जो ऑक्सीजन छोड़ता है." उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को "हिंदुओं का मौलिक अधिकार" घोषित करने का भी आह्वान किया था.
ये टिप्पणियां उत्तर प्रदेश गोहत्या अधिनियम के तहत गायों की चोरी और तस्करी के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करते हुए की गई थीं. उसी साल, उन्होंने चुनाव आयोग को कोविड-19 के खतरे की वजह से चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाने और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव स्थगित करने का "सुझाव" दिया था.
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