
सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने में विभिन्न 'बाधाएं' गिनाईं लेकिन कहा कि इस तरह की कवायद से सरकारी खजाने में बचत के साथ-साथ राजनीतिक दलों को भी चुनाव अभियानों में भारी बचत होगी। राज्यसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि उप-चुनावों सहित लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणामस्वरूप आदर्श आचार संहिता लंबे समय तक लागू रहती है और इसके परिणामस्वरूप विकास और कल्याण कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पांच अनुच्छेदों में करना होगा संशोधन
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के पांच अनुच्छेदों में संशोधन करना होगा। इनमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, लोक सभा के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174, और राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित अनुच्छेद 356 शामिल हैं।
सभी रजनीतिक दलों की सहमति होगी जरूरी
उन्होंने कहा कि इस मामले पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति हासिल करने की जरूरत होगी। संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए, यह जरूरी है कि सभी राज्य सरकारों की सहमति भी प्राप्त की जाए। अतिरिक्त इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और पेपर ट्रेल मशीनें हासिल करने की भी आवश्यकता होगी, जिसकी लागत हजारों करोड़ रुपये हो सकती है। मेघवाल ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव की रूपरेखा तैयार करने के लिए इस मुद्दे को अब आगे की जांच के लिए विधि आयोग के पास भेजा गया है।
महिला आरक्षण विधेयक पर आम सहमति जरूरी: सरकार
सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को संसद में लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति आवश्यक है। प्रश्न के लिखित उत्तर में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संविधान में संशोधन के लिए विधेयक संसद में लाने से पहले सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर इस मुद्दे पर सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है। महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया जा सकता है।
750 से अधिक फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों ने 1.69 लाख मामलों का किया निपटारा
एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में मेघवाल ने कहा कि देश की 750 से अधिक फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों ने 1.69 लाख मामलों का निपटारा किया है। 1.95 लाख से अधिक मामले अभी लंबित हैं। इनमें से यौन अपराधों से बच्चों की विशेष सुरक्षा (पोस्को) अदालतों ने 1.08 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया। देश में त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है, जो संबंधित हाई कोर्ट के परामर्श से अपनी आवश्यकता और संसाधनों के अनुसार ऐसी अदालतें स्थापित करती हैं।
2002 से अब तक असम, बंगाल में बाढ़ से 4,200 से अधिक लोगों की हुई मौत
सरकार ने गुरुवार को बताया कि असम और बंगाल में 2002 से अब तक बाढ़ से 4,200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। लोकसभा में प्रश्न का उत्तर देते हुए जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेस्व टुडू ने डाटा भी साझा किया। इसके अनुसार 2002 से इन दोनों राज्यों में बाढ़ के कारण 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
