भरतपुर/जयपुर| कोरोनाकाल में मेडिकल व्यवस्थाएं सुधारने के लिए जोर-शोर से कवायद के बावजूद हालात खराब ही हो रहे हैं. खासकर प्रदेश में महिलाओं के लिए चिकित्सा व्यवस्थाओं के हाल खराब हैं. ग्रामीण ही नहीं, शहरी इलाकों तक में प्रसूताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मेडिकल कालेज जनाना अस्पताल में प्रसूताओं के लिए समुचित इंतजाम नहीं हैं. जननी और नवजात गर्मी से हलकान नजर आ रहे हैं. हालात यह हैं कि गर्मी से निजात पाने के लिए मरीजों को अपने घर से कूलर-पंखा लाकर काम चलाना पड़ रहा है. अस्पताल में लगा सेंट्रल एयरकूलिंग सिस्टम अब यहां कहने भर को रह गया है.
अस्पताल प्रशासन ने यहां कहने को तो कूलर लगा रखे हैं, लेकिन ये हाथी के दांत बने हुए हैं. कुछ कूलरों में तो पंखुड़ी ही नहीं और कुछ में पानी का इंतजाम नदारद है. शेष बचे कूलर स्टाफ ने अपने लिए रख छोड़े हैं. कुछ पंखे लगे हैं तो वे हवा कम आवाज ज्यादा करते हैं. ऐसे में मरीज राम भरोसे ही गर्मी से राहत की उम्मीद में हैं.
जेब से तीन हजार खर्च कर लाए कूलर
ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि अस्पताल में 4 से 5 दिन रुकना पड़ता है लेकिन प्रसूताओं के साथ-साथ उनके साथ रहने वाली महिला का भी गर्मी से बुरा हाल है. चिलचिलाती गर्मी से जूझ रही महिला ने बताया कि वह 3000 रुपये खर्च कर अस्पताल में कूलर लेकर आए और अपने नवजात बच्चे को गर्मी से राहत दिलाने के लिए हवा की व्यवस्था की गई है. ऐसे में चिकित्सा विभाग के दावों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है.
जन प्रतिनिधि सिर्फ वादे ही करते हैं
भरतपुर से विधायक और राज्य सरकार में चिकित्सा राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष गर्ग अस्पताल के लिए बड़े-बड़े वादे तो करते हैं. लेकिन धरातल पर वह वादे एकदम खोखले नजर आते हैं. अस्पताल में रखे कूलर और पंखे सिर्फ अस्पताल की शोभा बढ़ा रहे हैं. मरीजों को बिल्कुल भी सुविधा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में अस्पताल में संक्रमण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
60 की नसबंदी, फर्श पर इलाज
उधर जोधपुर जिले के शेरगढ़ क्षेत्र में एक अस्पताल में नसबंदी शिविर तो लगा दिया गया, लेकिन महिलाओं के लिए इंतजाम गायब ही मिले. यहां बीते दिवस जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसबंदी शिविर लगाया गया था. डा टीआर गहलोत की टीम ने 60 महिलाओं की दूरबीन पद्धति से नसबंदी की. इस दौरान बेड और अन्य सुविधाएं नहीं होने से महिलाओं को फर्श पर ही रखा गया. ऐसे इंतजाम कोरोना काल में हुई व्यवस्थाओं की पोल खोलते हैं.