झज्जर. कीर्ति चक्र विजेता चेतन चीता कोरोना और ब्लैक फंगस से जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. 3 साल पहले कश्मीर के बांधी पीर में आतंकियों का सामना करते हुए चेतन चीता ने सीने पर 9 गोलियां खाई थी. बहादुरी के लिए सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. झज्जर के बाढ़सा गांव स्थित एम्स- टू के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट में चेतन चीता को भर्ती करवाया गया है. चेतन चीता को यहां 9 मई को इलाज के लिए लाया गया था. जहां लगातार चेतन चीता की हालत गंभीर बनी हुई है.
उनकी हालत इतनी गंभीर है कि 31 मई से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. चिकित्सकों की मानें तो उन्हें बेहोशी के आलम में रखने के लिए दवाएं दी जा रही है. उनका ऑक्सीजन लेवल 94% है. मगर संक्रमण उनके फेफड़े में शत-प्रतिशत फैल चुका है. चेतन चीता का ब्लैक फंगस का सफल ऑपरेशन भी हो चुका है.
देश की सेवा करने वाले कीर्ति चक्र विजेता चेतन चीता को आज दुआओं की जरूरत है. बता दें की अगले 48 घंटे चेतन चिता के लिए बेहद नाजुक हैं. वे फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं. एंटीवायरल थेरेपी के साथ साथ सेकेंडरी बैक्टीरियल इनफेक्शन के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स उन्हें दिए जा रहे हैं. ब्लड प्रेशर मेंटेन रखने के लिए भी दवाइयां चल रही है.चेतन चीता फरवरी 2017 में कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ की 45 वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे. एक आतंकी हमले में उनके सिर दाएं आंख पेट दोनों बांहें हाथ और कमर के निचले हिस्से में 9 गोलियां लगी थी. एम्स ट्रामा सेंटर में कई सर्जरी कर उनकी जान बचाई थी. वह अप्रैल 2017 को डिस्चार्ज हुए थे और 2018 में वापस ड्यूटी पर लौट आए थे. उन्हें शांति काल में बहादुरी के दूसरे सबसे बड़े सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. चेतन चीता की फिलहाल दिल्ली में तैनाती है.