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अफगानिस्तान के एम अजीम मोखलिस की हालत हो गई ख़राब, परिवार और खुद पर हो रही है चिंता

Admin4
20 Aug 2021 10:49 AM GMT
अफगानिस्तान के एम अजीम मोखलिस की हालत हो गई ख़राब, परिवार और खुद पर हो रही है चिंता
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भोपाल के दानिश कुंज में रहने वाले अफगानिस्तान के एम अजीम मोखलिस की हालत इन दिनों अजीब सी है. उनके देश में जो कुछ हुआ है उससे वो अपने परिवार और स्वयं की चिंता को लेकर घबराए हुए हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Afghanistan News: भोपाल के दानिश कुंज में रहने वाले अफगानिस्तान के एम अजीम मोखलिस की हालत इन दिनों अजीब सी है. उनके देश में जो कुछ हुआ है उससे वो अपने परिवार और स्वयं की चिंता को लेकर घबराए हुए हैं. अजीम 2014 में भारत में पढ़ने आए थे. भारत में पढ़ाई करने के लिए पहले अजीम ने पुणे से बीबीए किया, फिर वो 2017 से भोपाल में हैं. यहां एमबीए करने के बाद वो अब पीएचडी कर रहे हैं.

वहीं अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद उनकी सरकार से स्कॉलरशिप बंद हो गई. वहीं काबुल में रहने वाली उनकी मां उनको पढ़ाई के लिए जो पैसा भेजती थी वो भी पिछले कुछ महीनों से बंद हैं. उनकी मां से उनकी कई दिनों से बात नहीं हुई है. पिछली बार जब फोन लगाया था तो उन्होंने ही आगे बात नहीं करने को कहा था क्योंकि वहां उन पर नजर रखी जा रही है. बाहर के लोगों से कौन बात कर रहा है, क्यों बात कर रहा है, ये सब देखा जा रहा है. वीडियो कॉल करने की भी मनाही है. इसलिए अजीज ने बहुत दिनों से अपनी मां और भाइयों से बात नहीं की है.
कई प्रतियोगिताओं में किया प्रतिनिधित्व
अजीम मिक्स मार्शल आर्ट का बडा नाम हैं. उन्होंने अफगानिस्तान और भारत दोनों का कई प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व किया है और कई इनाम जीते हैं. वो हमेशा एक कंधे पर अफगानिस्तान का झंडा तो दूसरे पर भारत का झंडा टांग कर ही फोटोशूट करवाते हैं. पिछले अप्रैल महीने में वो अफगानिस्तान में भी एक बड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने गये थे लेकिन परिवार के दबाव के बाद उनको जल्दी लौटना पडा था. परिवार के लोग उनकी सलामती को लेकर फ्रिकमंद थे.
अब अजीम मानते हैं कि अफगानिस्तान में बुरा हो रहा है. तालिबानी तरक्की पसंद ख्याल वालों के दुश्मन हैं और महिला और जिम्मेदार लोगों पर बहुत बंदिशें लगाते हैं. वैसे अजीम ने भोपाल में बहुत दोस्त बनाए हैं जो अब उनकी मदद को आगे आ रहे हैं. उनसे जिन लोगों ने मिक्स मार्शल आर्ट सीखा है, उनको अजीम से बड़ी सहानुभूति है. दानिश में ही रहने वाली मयूरा मोरखंडे कहती हैं कि अजीम जैसे छात्रों का भारत दूसरा घर है. इसलिए राज्य और केंद्र सरकार को इनकी मदद और वजीफे के लिए आगे आना चाहिए.


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