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गणगौर की आखिरी सवारी में गुलाबी आभा से दमका शहर

Shantanu Roy
17 April 2024 12:00 PM GMT
गणगौर की आखिरी सवारी में गुलाबी आभा से दमका शहर
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राजसमंद। गणगौर महोत्सव के अंतिम दिन की सवारी में शहर के हर चौराहा और नुक्कड़ से लेकर गलियां तक गुलाबी-गुलाबी दिखाई दे रही थीं। प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर से परंपरागत रूप से शाही लवाजमे के साथ गुलाबी गणगौर की सवारी शाम ढलने से ठीक पूर्व ढोल-नगाड़े और बैण्ड वादन के साथ रवाना हुई।तीसरा व अंतिम दिन होने से लोगों की भीड़ सबसे ज्यादा थी। शहरवासी और आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं ने सवारी का आनंद लेने परंपरागत मार्गाें पर अपनी जगह रोक ली। ठाकुरजी के मंदिर से लेकर पूरे सवारी मार्ग में बालकृष्ण स्टेडियम तक सडक़ों पर सिर्फ गुलाबी परिधान में सजे-धजे लोग ही दिखाई दे रहे थे। पूरे मार्ग में सवारी का प्रभु श्री द्वारकाधीश के जयकारों से स्वागत हुआ। गुलाबी रंग की वेशभूषा में शृंगारित गणगौर की प्रतिमाओं और सुखपाल में बिराजित प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि के साथ पूरे ठाठ से परंपराओं का निर्वहन करते हुए सवारी बालकृष्ण स्टेडियम पहुंची। सवारी में हाथी, घोड़े, ऊंट और बैण्ड-बाजों के साथ ही सजे-धजे युवा व बच्चे शामिल थे। कई तरह के कलाकार अजीबोगरीब वेशभूषा में मनोरंजन कर रहे थे। मंदिर बैण्ड भक्ति की धुनें बिखरता चल रहा था।

वहीं सहरिया डांस पार्टी के कलाकार मारवाड़ी ढोल की थाप पर लोकनृत्य पेश कर रहे थे। दिल्ली के ग्रुप की झांकियों के साथ ही दक्षिण भारत की कई प्रसिद्ध झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। भगवान तिरुपति बालाजी की झांकी मन मोह रही थी तो पार्वती-शिव की आराधना की झांकी जहां से भी गुजरी, वहां माहौल भोले की भक्तिमय हो गया। शिव ताण्डव, अघोरी डांस ने काफी रोमांचित किया। काली माता के अनेक रूपों की झांकियां देख लोग उल्लासित हुए। नाथद्वारा आराध्य प्रभु श्रीनाथजी की नगरी में गुलाबी गणगौर की भव्य सवारी निकाली गई, जिसमें विविध झांकियों के साथ मंदिर मंडल की गोविंद पल्टन भी निकली। वहीं, रविवार को शहर में केसरिया गणगौर की सवारी निकलेगी और मोतीमहल चौक में मेला लगेगा। गुलाबी गणगौर के अवसर पर शाम को भोग आरती के दर्शन के बाद मंदिर के नक्कारखाने से सवारी रवाना हई। सवारी में सजे सुखपाल में ठाकुरजी की रास के भाव की छवि सजाई गई। इसके साथ ईशर-गणगौर लेकर कार्मिक चल रहे थे। सवारी चौपाटी से गोविंद चौक, बड़ा बाजार से होकर मंदिर परिक्रमा करते हुए बनास किनारे स्थित गणगौर बाग पहुंची। जहां, पर मेला लगा, जिसमें अपार जनसैलाब उमडा। इस दौरान वहां पर खाने-पीने के व्यंजनों के साथ अन्य सामग्री की स्टॉल्स पर लोगों की भीड़ रही। वहीं, बच्चों और युवाओं ने डोलर-चकरी में झूलने का आनंद लिया। इसके साथ ही तीन दिन का गणगौर घाट पर लगे मेले का भी समापन हो गया।
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