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केंद्र सरकार ने पैंडोरा पेपर्स मामले की जांच संयुक्त जांच एजेंसी से कराने का फैसला लिया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- केंद्र सरकार ने पैंडोरा पेपर्स मामले की जांच संयुक्त जांच एजेंसी से कराने का फैसला किया है. इस जांच की निगरानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी के चेयरमैन करेंगे. इस संयुक्त जांच समिति में आयकर विभाग के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, फाइनैंशियल इन्वेस्टिगेशन यूनिट जैसी जांच एजेंसियां भी शामिल होंगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के एक आला अधिकारी ने बताया कि सरकार ने यह फैसला पैंडोरा पेपर लीक मामला सामने आने के बाद किया है.
केंद्र सरकार के एक आला अधिकारी ने बताया कि 3 अक्टूबर 2021 को पत्रकारों की एक संस्था ने ऐसे अनेक जाने माने लोगों के बारे में जानकारियां सार्वजनिक की हैं, जो सार्वजनिक जीवन में तो बहुत अहम पदों पर हैं, लेकिन आरोप है कि उन लोगों ने अपने काले धन को टैक्स हैवन देशों में लगाया. इस कड़ी के तहत अनेक जाने-माने भारतीय लोगों के नाम भी सामने आए हैं, जिनमें उद्योगपति खेल जगत से जुड़े लोग आदि बताए गए हैं. पत्रकारों की संस्था आईसीआईजे की वेबसाइट ने अभी तक इस बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है और कहा है कि चरणबद्ध तरीके से यह पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी.
केंद्र सरकार के आला अधिकारी के मुताबिक इसके पहले भी आईसीआईजे, एचएसबीसी, पनामा पेपर और पैराडाइज पेपर्स के रूप में अनेक लोगों के नाम सामने आए हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने अपने काले धन को सफेद में बदलने के लिए टैक्स हैवन देशों में धन लगाया और फिर शेल कंपनियां खोलकर उन पैसों को अन्य तरीकों से वापस भारत भी मंगा लिया. इन पेपरों के सामने आने के बाद भारत सरकार ने ऐसी तमाम जानकारी को अघोषित विदेशी आय और संपत्ति कर अधिनियम 2015 लागू किया था, जिसके तहत ऐसे सभी आरोपों की जांच की जाती है और तथ्य पाए जाने पर आरोपी के खिलाफ उचित प्रावधान के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है.
बताया जाता है कि पनामा पेपर और पैराडाइज पेपर के जरिए जो खुलासे किए गए थे, उसमें जांच के तहत इस साल अब तक 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति का पता चला है और उस बाबत उचित कार्रवाई की जा रही है. जो ताजा खुलासा हुआ है उसके मुताबिक एक भारतीय उद्योगपति जो बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाकर विदेश भागा उसकी बहन ने उसके भागने के 1 महीने बाद ही विदेश में एक ट्रस्ट बना लिया और आरोप है कि भारत से जो पैसा गबन किया गया वह उस ट्रस्ट के जरिए टैक्स हैवेन देशों में लगाया गया. टैक्स हैवन देशों का मतलब है कि इन देशों में विदेशी लोगों को जो अपना पैसा वहां की बैंकों में जमा कराते हैं उन्हें अपना असली परिचय नहीं देना पड़ता और साथ ही जमा कराए गए धन पर भी मात्र कुछ फीस लेकर टैक्स नहीं लगाया जाता. ऐसे में ज्यादातर काला धन कमाने वाले लोग इन देशों में अपना खाता खुलवा लेते हैं.
अब तक की जांच के दौरान यह भी पाया गया है कि यह लोग ऐसे देशों में एक कंपनी खोल देते हैं और उस कंपनी की शाखा भारत में भी खोल देते हैं. क्योंकि कंपनी विदेशी होती है और नियम के मुताबिक विदेशी कंपनी को आयकर अपने देश में भरना होता है. ऐसे में काले धन को सफेद करने का काम बड़े आसानी से शुरू हो जाता है और वह धन यदि भारत में मौजूद किसी शख्स का है तो उसके पास पहुंच भी जाता है. ऐसे मामलों की जांच के दौरान यह भी पाया गया है कि कुछ लोगों ने अपना पैसा टैक्स हैवन देशों में जमा कराया और फिर उनके नाम पर फर्जी शेल कंपनियां भारत में खुली और काले धन को सफेद करने की कोशिश की.
सीबीडीटी के आला अधिकारी के मुताबिक पनामा, बरमूडा, मोनाको, एंडोरा, बहामास, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कुक आइलैंड जैसे अनेक छोटे द्वीप टैक्स हैवन देशों की श्रेणी में आते हैं. सीबीडीटी के आला अधिकारी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि पेंडोरा पेपर का खुलासा होने के बाद सरकार ने इस पूरे मामले की जांच कराने का फैसला लिया है और जल्द ही इस मामले में दस्तावेज सामने आने पर अधिकारिक तौर पर पूछताछ तथा आगे की जांच शुरू कर दी जाएगी. जांच के लिए सभी जांच एजेंसियों की एक मिली जुली कमेटी बनाई जा रही है.
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