पत्नी के फोन टैपिंग का मामला, याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
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रविवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निजता के अधिकार के उल्लंघन को लेकर एक बड़ा फैसला दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पति अपनी पत्नी को बिना बताए उसकी कॉल रिकार्ड करता है तो ये पत्नी के निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा कि चुकी बातचीत किन परिस्थितियों को लेकर हो रही है ये पहले से निश्चित नहीं है, ऐसे में ये बात मायने रखती है गुप्त रुप से बातचीत को कौन रिकार्ड करता है. न्यायामूर्ति लिसा गील ने ये फैसला एक महिला द्वारा 29 जनवरी 2020 को कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिया गया. ये याचिका पहले बठिंडा कोर्ट के घरेलू मामलों की शाखा द्वारा महिला के पति के पक्ष में दिए गए निर्णय के खिलाफ दायर की गई थी. इस केस में याचिका कर्ता के पति ने 2017 में विभिन्न आधारों पर तलाक मांगा था. इन दोनों का विवाह 20 फरवरी 2009 में हुआ था, जिसके बाद मई 2011 में इनकी एक बेटी भी हुई थी.
कोर्ट ने साक्ष्य मानने से किया इनकार
तलाक के मामले में कोर्ट ने 9 जून 2019 को महिला के पति से महिला के मोबाइल की रिकार्ड की गई बातचीत वाला मेमोरी कार्ट या चीप परिक्षण के लिए मांगा था. जिसके बाद महिला ने कोर्ट से मांग की थी कि निचली अदालत की ये मांग निजता के अधिकारी का उल्लंघन है. इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा निचली अदायत की ये मांग रद्द कर दी गई.
कोर्ट ने मांग रद्द करते हुए कहा कि पति द्वारा फोन की बातचीत रिकार्ड करना पत्नी के अधिकार हेतु धारा 14 और 20 का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि घरेलू मामलों की अदालत ने भारतीय संवैधान की धारा 65 को सीधे तौर पर नजरअंदाज करते हुए ये निर्णय दिया है. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर इस मामले में मोबाइल से रिकार्ड की गई बातचीत वाली सीडी या चीप कोर्ट में पेश होती है तो उसे साक्ष्य के रुप में नहीं माना चाएगा.