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बिहार: महादेव घाट पर बहकर आया लाशों का अंबार, इलाके में दहशत का माहौल, इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा, ये तस्वीरें कर देंगी विचलित

jantaserishta.com
10 May 2021 12:42 PM GMT
बिहार: महादेव घाट पर बहकर आया लाशों का अंबार, इलाके में दहशत का माहौल, इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा, ये तस्वीरें कर देंगी विचलित
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कोरोना से मरने वालों लोगों के आंकड़ों में भले ही हेरफेर संभव हो लेकिन बक्सर के चौसा में महादेव घाट पर बहकर आए लाशों के अंबार ने बयां कर दिया है कि त्रासदी कितनी बड़ी है. अब जब बक्सर के चौसा में महादेव घाट पर नदी किनारे बहकर लाशें आ रही हैं तो इंसानियत को शर्मसार कर इस पर भी राजनीति शुरू कर दी गई है.

जिला प्रशासन ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि ये बिहार या बक्सर नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की लाशें हैं जो यहां बह कर आ गई हैं. महादेव घाट में किनारे में लाशों के अंबार की ये तस्वीरें आपको विचलित भी कर सकती है. ऐसा लगता है कि शवों ने महादेव घाट को पूरी तरह ढक लिया है.
हालांकि जैसे ही इस घटना का वीडियो सामने आया जिला प्रशासन के कान खड़े हो गए और लाशों के अंबार पर गोलमोल जवाब देने का सिलसिला शुरू हो गया. चौसा के बीडीओ अशोक कुमार ने बताया कि करीब 40 से 45 लाशें होंगी जो अलग-अलग जगहों से बह कर महादेव घाट पर आ गई हैं.
बीडीओ ने साफ तौर पर कहा कि ये लाशें हमारी नहीं है. हम लोगों ने घाट पर चौकीदार को नियुक्त कर रखा है ताकि यहां लाशों का समुचित तरीके से अंतिम संस्कार किया जा सके. ये लाशें उत्तर प्रदेश से बहकर आ रहीं और यहां किनारे पर पहुंच गई हैं. यूपी की लाशों को यहां पहुंचने से रोकने का कोई उपाय नहीं है इसलिए हम इनके निपटारे की भी व्यवस्था कर रहे हैं.
हालांकि इसी घटना के अगर दूसरे हिस्से को देखें तो कोरोना ने बक्सर सहित अन्य जिलो में तबाही मचा रखी है. महामारी की वजह से स्थानीय निवासी नरेंद्र कुमार मौर्य ने बताया कि चौसा घाट की स्थिति काफी दयनीय है.
नोट: वीडियो ब्लर नहीं है आपको विचलित कर सकता है.

उन्होंने कहा, कोरोना संक्रमण के कारण यहां रोज 100 से 200 लोग आते हैं और लकड़ी की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लाशों को गंगा में ही फेंक देते हैं जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है. स्थानीय लोगों के मुताबिक प्रशासन ने यहां कोई व्यवस्था नहीं की है.
बक्सर के सदर SDO के के उपाध्याय ने भी यही कहा कि ये लाशें बिहार की नहीं उत्तर प्रदेश की हो सकती हैं क्योंकि हमारे यहां लाशों को जलाने की परंपरा है. हालांकि स्थानीय लोग इसे सीधे तौर पर प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं.


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