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केंद्र पर लगाया गया आरोप झूठ, PM मोदी ने गरीबों को पहुंचाया राशन : संबित पात्रा

Apurva Srivastav
6 Jun 2021 8:43 AM GMT
केंद्र पर लगाया गया आरोप झूठ, PM मोदी ने गरीबों को पहुंचाया राशन : संबित पात्रा
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राजधानी दिल्ली में घर-घर राशन योजना (Door-to-door ration scheme) को लेकर राजनीति शुरू हो गई है

राजधानी दिल्ली में घर-घर राशन योजना (Door-to-door ration scheme) को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के आरोपों पर पलटवार किया है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, "दिल्ली के CM ने आज बात रखी है कि मोदी जी दिल्ली की गरीब जनता को उनके अधिकार से वंचित रख रहे हैं और 'घर-घर राशन योजना' रोकने की कोशिश कर रहे हैं जबकि ऐसा नहीं हैं. मोदी जी नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट और पीएम गरीब कल्याण योजना के जरिए दिल्ली के जरूरतमंदों को राशन पहुंचा रहे हैं."

संबित पात्रा ने जवाब देते हुए आगे कहा, "मोदी सरकार ने दिल्ली को नेशनल फूड सेक्युरिटी एक्ट के तहत अभी तक 37,400 मीट्रिक टन अनाज भेजा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत मई से 5 जून तक दिल्ली को तय कोटे से ज्यादा 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा गया है, जिनमें से दिल्ली अब तक 53,000 मीट्रिक टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वे जनता को बांट पाए हैं
इसके अतिरिक्त भी राशन बांट सकती है दिल्ली सरकार
उन्होंने कहा कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत दिल्ली सरकार प्रति किलो गेहूं के लिए मात्र 2 रुपये देती है और केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो देती है. वहीं, प्रति किलो चावल के लिए दिल्ली सरकार मात्र 3 रुपये देती है और केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो देती है. संबित पात्रा ने कहा कि दिल्ली सरकार इसके अतिरिक्त भी राशन बांटना चाहती है, तो इसके लिए वह राशन खरीद सकती है. जो नोटिफाइड रेट हैं, उस पर राशन खरीदा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि यानी जिस रेट पर अन्य राज्यों को मिलेगा, उसी रेट पर दिल्ली सरकार भी खरीद सकती है. इस पर केंद्र सरकार को किसी तरह की आपत्ति नहीं होगी. संबित पात्रा ने कहा, "दिल्ली सरकार के काम करने का तरीका हम आपको बताते हैं. वन नेशन-वन राशन कार्ड का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया था, लेकिन दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस वजह से हजारों मजदूर आज राशन लेने से वंचित रह गए हैं


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