
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भारतीय नौसेना ने ‘मिशन गगनयान’ के लिए विशाखापत्तनम हार्बर में मानव अंतरिक्ष मिशन क्रू मॉड्यूल रिकवरी और लिफ्टिंग परीक्षण पूरे कर लिए हैं। इसरो ने यह परीक्षण विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी नौसेना कमान में भारतीय नौसेना के एक जहाज पर किए हैं
इसरो के मुताबिक, गगनयान की पुनर्प्राप्ति परीक्षण के दूसरे चरण के तहत विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में बंदरगाह परीक्षण (हार्बर ट्रायल) किया गया। हार्बर ट्रायल के दौरान नौसेना के एक पोत ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल को समुद्र से निकालकर बंदरगाह तक पहुंचाया। परीक्षण के दौरान सुनिश्चित किया गया कि पुनर्प्राप्ति प्रक्रियाएं स्थितियों के हिसाब से बिलकुल सटीक हों। इसरो ने कहा, इस परीक्षण से पुनर्प्राप्ति से जुड़ी प्रक्रियों की दक्षता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है।
सौर मंडल के पार जाने का पहला कदम
इसरो के मुताबिक गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिन के मिशन पर अंतरिक्ष में 400 किमी की ऊंचाई पर भेजा जाएगा। वापसी में क्रू मॉड्यूल समुद्र में गिरेगा, जहां से नौसेना उसे निकालेगी। इस अभियान का मकसद अंतरिक्ष में भानव भेजना और उन्हें सुरक्षित लौटाने की क्षमता हासिल करना है। यह क्षमताएं देश के लिए विज्ञान से लेकर रक्षा तक के क्षेत्र में अहम साबित होंगी। इसके अलावा भविष्य में सौर मंडल के दूसरे ग्रहों की यात्रा से लेकर सौर मंडल से बाहर की यात्राओं के लिए अनुभव मिलेगा।
रमन-2 इंजन के थ्रस्टर सिस्टम का परीक्षण
इसरो देश के निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष में बड़ा खिलाड़ी बनाने में सहयोग दे रहा है। इसरो ने अपने महेंद्रगिरी, तमिलनाडु स्थित प्रोपल्सशन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) में हैदराबाद स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काईरूट के रॉकेट इंजन थ्रस्टर सिस्टम का परीक्षण किया। आईपीआरसी की लिक्विड थ्रस्टर टेस्ट फैसिलिटी (एलटीटीएफ) में रमन-2 रॉकेट इंजन को परखा गया, जो समुद्र स्तर पर 820 न्यूटन और निर्वात में 1,460 न्यूटन का (विक्षेप) थ्रस्ट पैदा करता है। इस दौरान इंजन के चैंबर में 8.5 बार का दबाव बनता है। इसरो ने बताया कि 10 सेकंड के परीक्षण में इंजन ने अपेक्षित प्रदर्शन किया। स्काईरूट ने परीक्षण सुविधा मुहैया करानो के लिए इसरो का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, हमारे पूरी तरह से थ्रीडी प्रिंटेड इस इंजन को विक्रम-1 रॉकेट में चौथे चरण के इंजन के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
निजी क्षेत्र का पहला रॉकेट होगा विक्रम-1
स्काईरूट ने कहा, यह रॉकेट के आर्बिटल एडजस्टमेंट मॉड्यूल को ताकत देगा। विक्रम-1 छोटा रॉकेट है, जो 225 किग्रा भार तक के पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाएगा। विक्रम-1 भारत में निजी क्षेत्र का पहला रॉकेट होगा।
