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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बिहार के फुलवारी शरीफ मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज किया है। चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से इस मामले के तार जुड़े हैं। एनआईए ने इसकी जांच शुरू कर दी है। अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय के काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन डिवीजन की ओर से जारी आदेश के बाद भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है।
पीएफआई टेरर मॉड्यूल मामले का खुलासा हाल ही में बिहार पुलिस ने किया है। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनके PFI से संबंध थे। साथ ही भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की उनकी योजना थी।
एनआईए ने बुधवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित जामिया मारिया निस्वा मदरसा में तलाशी ली और असगर अली नाम के टीचर को गिरफ्तार किया। झारखंड के रिटायर्ड पुलिस अधिकारी मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज को 13 जुलाई को पटना के फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया गया था, जबकि नूरुद्दीन जंगी को तीन दिन बाद उत्तर प्रदेश के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने लखनऊ से अरेस्ट किया था।
फुलवारी शरीफ मामले में बिहार पुलिस अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। बिहार पुलिस की ओर से फुलवारी शरीफ में की गई छापेमारी में कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। ऐसे ही एक डाक्यूमेंट का टाइटल था 'विजन 2047 इंडिया', जिसमें इस्लामिक देशों से सहायता प्राप्त भारतीय मुसलमानों की ओर से भारतीय राज्य पर सशस्त्र हमले की बात कही गई है। पुलिस ने पीएफआई के कई पर्चे भी बरामद किए हैं।
इन आतंकियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना दौरे से 15 दिन पहले फुलवारी शरीफ में ट्रेनिंग दी जा रही थी। उन्होंने 6-7 जुलाई को बैठकें की और सांप्रदायिक तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए। इससे पहले, तेलंगाना के निजामाबाद में इसी तरह की गिरफ्तारियां की गई थीं, जहां पीएफआई ने मुसलमानों को हथियारों की ट्रेनिंग देने के लिए शिविर का आयोजन किया था। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामले में पीएफआई के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की है।
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