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तनाव अब भी बरकरार! अजरबैजान और आर्मेनिया में छिड़ा संघर्ष, भारत को लेकर कहा- कोई प्रस्ताव आता है तो स्वागत करेंगे

jantaserishta.com
16 Sep 2022 8:27 AM GMT
तनाव अब भी बरकरार! अजरबैजान और आर्मेनिया में छिड़ा संघर्ष, भारत को लेकर कहा- कोई प्रस्ताव आता है तो स्वागत करेंगे
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच एक बार फिर से संघर्ष शुरू हो गया है. दोनों देश एक दूसरे पर हमला करने के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में अजरबैजान ने कहा है कि अगर क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए भारत कोई प्रस्ताव लाता है तो आर्मेनिया बातचीत के लिए तैयार है. वह इस तरह की पहल का स्वागत करेगा.
अजरबैजान का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब कुछ समय पहले ही दोनों देशों के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी थी. अजरबैजान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता लेला अब्दुल्लायेवा ने आर्मेनिया के साथ मौजूदा संकट के बारे में बात करते हुए एक वीडियो इंटरव्यू के दौरान बताया कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं. हम दोनों पक्षों के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए किसी भी तरह की पहल का स्वागत करते हैं, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आए.
एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने बताया कि अगर भारत किसी तरह की मदद या प्रस्ताव के साथ आता है तो अजरबैजान इस तरह की पहल के लिए हमेशा तैयार है.
उन्होंने कहा, अजरबैजान के आर्थिक, मानवीय, सांस्कृतिक और पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं. हम भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े विदेशी संगठनों के साथ सहयोग कर रहे हैं.
बता दें कि आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-कारबाख को लेकर सैन्य संघर्ष की स्थिति है. इस इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों देशों में कई दशकों से विवाद जारी है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार को कहा था कि भारत का विश्वास है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय विवाद को डिप्लोमेसी और बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. सैन्य हमला किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. हम दोनों देशों से स्थाई समाधान के लिए बातचीत के जरिए आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करते हैं.
आर्मेनिया की ओर से ताजा संघर्षविराम के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्दुल्लायेवा ने कहा कि सीमा पर फिलहाल स्थिति शांत है. उन्होंने कहा, हम बातचीत के लिए तैयार हैं. हमने यह न सिर्फ बयानों से बल्कि अपने व्यवहार से भी साबित किया है कि हम आर्मेनिया के साथ संबंधों को सामान्य करना चाहते हैं लेकिन सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय कानून के नियम और सिद्धांतों के आधार पर.

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