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स्पीकर को लेकर तनाव...जानिए कैसे कांग्रेस के लिए पैदा हुईं मुश्किलें
Pushpa Bilaspur
12 July 2021 2:37 PM GMT
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फाइल फोटो
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार (Udhhav Government) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. माना जा रहा है कि शिवसेना और एनसीपी (Shivsena and NCP) दोनों ही सहयोगी कांग्रेस (Congress) से नाराज हैं. राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस के लिए पहले से ही दिक्कतें चल रही हैं और अब कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर महा विकास अघाड़ी सरकार में अपने सहयोगियों पर गुस्सा निकाला है. राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले (Nana Patole) को छोटे लोग बताई जाने वाली शरद पवार की हालिया टिप्पणी एक संकेत देती है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है.
कैसे हुई शुरुआत?
दरअसल, कांग्रेस के लिए परेशानी पांच महीने पहले तब शुरू हुई, जब नाना पटोले ने राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में अपना नया कार्यभार संभालने के लिए विधानसभा स्पीकर के पद से इस्तीफा दे दिया. पटोले का यह कदम शिवसेना और एनसीपी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, क्योंकि विधानसभा में स्पीकर का पद काफी अहम होता है और दोनों ही दल पटोले के इस कदम से पूरी तरह से अनजान थे. यहीं से महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के बीच विवाद शुरू हो गया.
कांग्रेस नेताओं संग बैठक में उद्धव ने जताई नाराजगी
महाराष्ट्र में साल 2019 में जिसतरीके से उद्धव सरकार बनी थी, उससे स्पीकर का पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. चुनाव से पहले शायद ही किसी भी एक्सपर्ट ने सोचा होगा कि चुनाव के बाद बीजेपी को छोड़कर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बना लेगी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन जाएंगे.
ऐसे में कांग्रेस को स्पीकर पद छोड़ने से पहले दोनों सहयोगियों को नहीं बताने का फैसला किसी को अच्छा नहीं लगा. ऐसे में जब स्पीकर पद खाली हुआ तो एनसीपी के डिप्टी स्पीकर जिरवाल नरहरी सीताराम ने काफी दिनों तक विधानसभा में अहम रोल प्ले किया. सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर जारी गतिरोध पर चर्चा के लिए हाल ही में कांग्रेस नेताओं के साथ हुई बैठक में उद्धव ठाकरे ने भी नाराजगी जताई थी.
स्पीकर के चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर नजर रखना मुश्किल
विधानसभा स्पीकर के चुनाव के लिए लॉजिस्टिक बाधाएं भी सामने आ रही हैं. संवैधानिक पद होने के कारण नियम पुस्तिका के अनुसार प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है. विधानसभा सत्र बुलाने के लिए महामारी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. एक निगेटिव आरटी-पीसीआर टेस्ट जोकि 72 घंटे पहले का वैध होगा, उसकी भी जरूरत होगी.
वहीं चुनाव की प्रक्रिया चार से पांच दिनों की होगी. रूल बुक यह भी कहती है कि चुनाव गुप्त मतदान के जरिए से होंगे. सूत्रों का कहना है कि इससे गठबंधन सरकार हमेशा कमजोर स्थिति में होगी, क्योंकि क्रॉस वोटिंग पर नजर रखना काफी मुश्किल होता है. भले ही वह कांग्रेस के नेता हों, लेकिन यदि गठबंधन का उम्मीदवार हार जाता है तो यह महाराष्ट्र सरकार को शर्मिंदा करेगा.
सोनिया गांधी से मिले थे नितिन राउत
एक सूत्र ने पूरे मुद्दे पर कहा, ''गुप्त मतदान को रद्द करने के लिए रूल बुक को बदलने की जरूरत है और इसके लिए नियमों पर समिति की बैठक करनी होगी और फिर बदलाव को विधानसभा की जांच से गुजरना होगा. यह आसान नहीं है.'' पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के मंत्री और कांग्रेस नेता नितिन राउत ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें स्थिति से अवगत कराया था.
एनसीपी के साथ तनावपूर्ण संबंध
गौरतलब है कि कांग्रेस शिवसेना की तुलना में अपने पुराने सहयोगी एनसीपी के साथ बातचीत करने के लिए अधिक संघर्ष कर रही है. अहमद पटेल के निधन से एक शून्य पैदा हो गया है और नियमित मुद्दों के लिए शरद पवार के साथ बातचीत का माध्यम खत्म हो गया है. इस वजह से दोनों पार्टियों के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है. एक नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, ''मुद्दा यह है कि पवार साहब से कौन बात करेगा? एक बार कांग्रेस मुख्यालय में बैठे एक महासचिव ने एनसीपी सुप्रीमो को फोन किया, लेकिन बातचीत शुरू होते ही समाप्त हो गई.'' वहीं, पिछले हफ्ते बालासाहेब थोराट ने दिल्ली में कहा था कि कोई मतभेद नहीं हैं.
स्पीकर चुनाव के लिए हमें चार दिन चाहिए और महामारी के कारण हमें वह समय नहीं मिल पा रहा है. यह सच है कि स्पीकर सरकार का है लेकिन हमने खुद कोई निर्णय नहीं लिया है. सभी को जानकारी दी गई थी
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