पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय विकल्प तभी बन सकता है जब पार्टियां लड़ने को तैयार हों. विकल्प मजबूत होना चाहिए. यह अकेले नहीं किया जा सकता है. तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार (Sharad Pawar) से मुलाकात के बाद यह बयान दिया. कांग्रेस का नाम लिए बगैर ममता ने कहा कि कोई लड़ नहीं सकता तो हम क्या करें. हम चाहते हैं कि सभी पार्टियां लड़ें. ममता ने यह भी कहा कि अब यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) नहीं है और इसलिए सवाल ही नहीं उठता कि यूपीए का नेता कौन होगा.
टीएमसी प्रमुख ने आगे कहा कि यह एक मजबूत विपक्ष बनाने का समय है और सभी समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ आने और एकजुटता दिखाने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा, 'शरद पवार सबसे वरिष्ठ नेता हैं और मैंने उनके साथ लंबे समय तक काम किया है इसलिए मैं राजनीतिक शिष्टाचार बढ़ाने और शरद पवार से मिलने आई थी. उन्होंने जो कुछ भी कहा मैं उससे सहमत हूं.' जब उनसे पूछा गया कि क्या शरद पवार समान विचारधारा वाले दलों के प्रमुख होंगे? तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस सवाल से ध्यान हटा लिया और कोई जवाब नहीं दिया.
इस बीच, शरद पवार ने भी विकल्प के नेतृत्व पर सवाल को खारिज कर दिया और कहा कि वर्तमान समय में उद्देश्य विभिन्न समान विचारधारा वाले दलों को भाजपा के खिलाफ एक साथ लाना है. पवार ने आगे कहा कि ममता का इरादा समान विचारधारा वाली ताकतों को एक साथ लाना और एक सामूहिक मोर्चा पेश करना है और इसी इरादे से वह मुझसे मिलीं और हमने सकारात्मक चर्चा की.
अब प्रतिस्पर्धा पैदा होगी - इससे पहले, सिविल सोसाइटी के सदस्यों से मुलाकात करते हुए ममता बनर्जी ने चुटकी ली कि उनके महाराष्ट्र आने और फुटवर्क दिखाने से कुछ प्रतिस्पर्धा पैदा होगी और दूसरों दलों को बाहर आने और समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
कांग्रेस और टीएमसी के बीच खटास?
मालूम हो कि टीएमसी और कांग्रेस के संबंध अब पहले जैसे नहीं बचे हैं. देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेताओं को जब से ममता ने तृणमूल का झंडा थमाया है तभी से दोनों दलों के बीच दरार आनी शुरू हो गई है. पार्टी के विस्तार के अलावा ममता बनर्जी के राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिशों की वजह से भी कांग्रेस की नाराजगी बढ़ गई है. यही वजह है कि तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर आईं टीएमसी चीफ ममता और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के बीच मुलाकात तक नहीं हुई.