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प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ता के मन में डर पैदा नहीं करना चाहिए।

Sonam
24 July 2023 4:57 AM GMT
प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ता के मन में डर पैदा नहीं करना चाहिए।
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यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने बोला कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में सहायता कर सकते हैं.

चेन्नई. हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने तकनीक का नुकसानदायक उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने को लेकर आगह करते हुए बोला कि प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा नहीं करना चाहिए वरना लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे.

आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत कार्यक्रम में मुख्य मेहमान के रूप में अपने संबोधन में शनिवार को हिंदुस्तान के मख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ कोई भी प्रौद्योगिकी निर्वात में जन्म नहीं लेती है, बल्कि वह उस समय की सामाजिक वास्तविकता तथा कानूनी, आर्थिक एवं सियासी प्रबंध का परिचायक होती है.’’

उन्होंने बोला कि सोशल मीडिया ने आज राष्ट्रीयता समेत कई बाधाओं को खत्म कर दिया है और कोई भी एक बार में लाखों संदेश भेज सकता है जो ऑफलाइन माध्यम से संभव नहीं है.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बोला कि लेकिन प्रौद्योगिकी के उद्भव के साथ ही नये व्यवहार का जन्म भी हुआ है और यह आनलाइन मध्यम से धमकी, गाली गलौच करने और ट्रोल करने का है.उन्होंने बोला कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब प्रौद्योगिकी के विकास के साथ इन विषयों पर भी विचार करने की आवश्यकता है.

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ आज कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) ऐसे शब्द हैं जो हर किसी की जुबान पर हैं. कृत्रिम बुद्धिमताके माध्यम से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की क्षमता बढ़ाने में सहायता मिली है.’’

उन्होंने बोला कि एआई के साथ चैट जीपीटी साफ्टवेयर का इस्तेमाल भी बढ़ा है जो चुटकुले बनाने से लेकर कोडिंग करने और कानूनी विषयों को लिखने तक में देखा जा रहा है.

उन्होंने बोला कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग (सीधे प्रसारण) के लिए पायलट आधार पर एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने बोला कि जब हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं तब हमें यह देखना चाहिए कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी किस प्रकार से मानव विकास में सहायता कर सकते हैं.

उन्होंने बोला कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ औनलाइन धमकी, गाली गलौच और परेशान किये जाने की घटनाएं भी आ रही हैं और यह बात भी साफ होती है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग नुकसानदायक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ प्रौद्योगिकी को उपयोगकर्ताओं के मन में भय पैदा करने के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए वरना लोग खुले एवं मुक्त रूप से अपने विचार व्यक्त नहीं कर पायेंगे.’’

आईआईटी मद्रास के 60वें दीक्षांत कार्यक्रम में 2571 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री प्रदान की गई.

इस अवसर पर आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो।वी कामकोटि ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी.

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