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रोपवे में आई तकनीकी दिक्कत, 8 लोग फंसे, रेस्क्यू जारी, देखें वीडियो
jantaserishta.com
20 Jun 2022 9:34 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
मचा हड़कंप।
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के परवाणू (Parwanoo) में मौजूद रोपवे (केबल कार) में दिक्कत आ गई है, जिसकी वजह से उसमें 8 टूरिस्ट फंस गए हैं. फिलहाल उनको बचाने के लिए दूसरी केबल कार ट्रोली भेजी गई है. Timber Trail (cable-car) में आई दिक्कत की वजह से ये 8 जाने हवा में लटकी हुई हैं. फिलहाल तकनीकी टीम जल्द से जल्द केबल कार सर्विस को ठीक करने की कोशिश कर रही है. पुलिस भी पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
सोलन के परवाणू में रोपवे में आई तकनीकी दिक्कत, हवा में अटकी सात पर्यटकों की जान.#ropeway#solan pic.twitter.com/0Y8ghsBvdI
— rajni singh (@imrajni_singh) June 20, 2022
सोलन जिले में मौजूद Timber Trail (cable-car) में से फिलहाल एक टूरिस्ट को बचा लिया गया है. बाकियों को बचाने की कोशिशें अभी जारी हैं.
एसपी सोलन वीरेंद्र शर्मा ने पुष्टि करते हुए बताया है कि करीब 1:30 बजे परवाणू के टीटीआर में तकनीकी दिक्कत आने के कारण केबल कार बीच मे अटकी. केबल कार में फंसे पर्यटकों ने बताया है कि वे लोग रिजॉर्ट जा रहे थे, तकनीकी दिक्कत आने के कारण यहां पर टिंबर ट्रेल फंस चुकी है,उनका कहना है कहा कि रेस्क्यू ट्रॉली के माध्यम से उन्हें नीचे उतारने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वे लोग उतरने की स्थिति में नहीं है.
ऐसी ही घटना कसौली तहसील के परवाणू क्षेत्र में अक्टूबर, 1992 में हुई थी, जब दस लोगों की सांसें हवा में अटक गई थी. आज भी लोग उस समय को याद करते हैं तो सिहर उठते हैं. तीन दिन तक दस लोगों की सांसे हवा में अटकी रही व एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी.
उस समय आर्मी व एयर फोर्स के जवानों ने सैकडों फुट की ऊंचाई पर फंसे लोगों की जान को बचाया था. टिबर ट्रेल रोपवे में ट्रॉली फंसने की सूचना चारों तरफ आग की तरह फैल गई थी. इसमें फंसे पर्यटक दिल्ली व पंजाब के थे.
11 अक्टूबर, 1992 को कालका-शिमला नेशन हाइवे पर स्थित परवाणू के समीप बने टिबर ट्रेल रिजोर्ट में चलने वाली रोपवे ट्रॉली में पर्यटक बैठकर जा रहे थे तो सैकडों फुट की ऊंचाई पर ट्रॉली अचानक एक झटके के साथ रुक गई. अंदर बैठे लोगों समेत ही ट्रॉली तार पर पैंडूलम की हिचकोले खाने लगी.
काफी समय के बाद भी ट्रॉली न आगे बढ़ी व ही पीछे हट पाई. जानकारी के अनुसार ट्रॉली में अटेंडेंट समेत 12 लोग मौजूद थे, जिसमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था. इसी दौरान ट्राली अटेंडेंट गुलाम हुसैन ने जान बचाने के लिए छलांग लगा दी थी जिस कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी. वहीं दरवाजा बंद होने से पहले ही एक व्यक्ति गिर गया था, जिसमें उसको चोटें आई थीं.
घटना के एक दिन बाद भी यात्रियों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली तो विशेष कमांडो दस्ते को बुलाया गया था. 13 अक्टूबर को इस दस्ते के मेजर क्रैस्टो अपने हेलीकॉप्टर के साथ ठीक ट्राली के ऊपर पहुंचे और एक रस्सी की सहायता से छत पर उतरे.
एक-एक करके सभी को रस्सी की सहायता से हेलीकॉप्टर तक पहुंचाकर वहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया. बचाव अभियान में शामिल तत्कालीन मेजर इवान जोसेफ क्रैस्टो, ग्रुप कैप्टन फली होमी, विग कमांडर सुभाष चंद्र, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी उपाध्याय को सम्मानित भी किया गया था.
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