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शिक्षक ने ली एक और जिम्मेदारी, उठा रहा कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की पढाई का खर्च

Admin2
7 July 2021 2:18 PM GMT
शिक्षक ने ली एक और जिम्मेदारी, उठा रहा कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की पढाई का खर्च
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कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए कोटा के एक कोचिंग शिक्षक सामने आए हैं. उन्होंने ऐसे छात्रों को 2021 की स्कूल और कोचिंग फीस की सुविधा देने का संकल्प लिया है, जिन्होंने या तो अपने कमाने वाले परिवार के सदस्य को कोविड महामारी में खो दिया है या जिनके परिवार के सदस्य महामारी के बीच रोजगार खो चुके हैं.; 36 वर्षीय शशि प्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं और राजस्थान के कोटा में एक ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफॉर्म पर केमिस्ट्री पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि अप्रैल में जब मेरी मां और बड़े भाई को कोरोना हो गया था, उसी दौरान उनके मन में ये विचार आया. वो बताते हैं कि वो ऐसा खराब वक्त था कि कई कोशिशों के बावजूद मां को लखनऊ के अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने ट्विटर पर मदद मांगी. इसी दौरान उनके पढ़ाए गए वो पूर्व छात्र सामने आए जिन्हें कभी पढ़ाया गया था.

उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले इन्हीं मेरे तीन छात्रों ने नोएडा के एक अस्पताल में मेरी मां के लिए वेंटिलेटर बेड का पता लगाया. इसी कारण मेरी मां की जिंदगी बच पाई. इसी दौरान मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे भी कुछ न कुछ छात्रों के लिए जरूर करते रहना चाहिए. बस, ठीक उसी वक्त कोविड -19 की दूसरी लहर की चपेट में घर के कमाने वाले सदस्य या परिजनों को खो चुके बच्चों के बारे में पता चला था. शश‍ि प्रकाश कहते हैं कि मैंने ऐसे आर्थिक रूप से परेशान छात्रों के लिए और अधिक धन की व्यवस्था करने के दृढ़ संकल्प के साथ अपने पास से 21 लाख रुपये निकालकर एक कोष बनाने का फैसला किया जिससे इनकी मदद हो सके. इसके बाद अब तक 100 से ज्यादा ऐसे जरूरतमंद छात्रों तक वो मदद पहुंचा चुके हैं.

कैसे करते हैं मदद

शश‍ि प्रकाश ने बताया कि मैं अभी फिलहाल अपनी सेविंग से ही बच्चों की मदद कर रहा हूं. जो बच्चे सोशल मीडिया, फोन या ईमेल के जर‍िये मुझसे मदद मांगते हैं, मैं उनको हेल्प करता हूं. अभी तक बिहार, राजस्थान, उड़ीसा से लेकर कई राज्यों के जरूरतमंद बच्चों की फीस का खर्च मैंने अपने नाम किया है. अभी कई लोग मुझसे कह रहे हैं कि अगर जरूरतें बढ़ीं तो वो भी मदद के लिए आगे आएंगे.

कैसे और किनकी होती है मदद

मैं ऐसे छात्रों की वार्षिक स्कूल या कोचिंग फीस की आवश्यकताओं को पूरा करने का बीड़ा उठाने में लगा हूं जिनकी सालाना फीस 25,000 रुपये तक हो. अगर कोई बच्चा बहुत बड़े स्कूल में पढ़ रहा है और उसका खर्च लाखों में है तो मैं उसे वहन नहीं कर सकता. उन्होंने बताया कि पहले भी मैं उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बंगाल और अन्य के लगभग 100 से ज्यादा छात्रों को वित्तीय सहायता दे चुके हैं.

पहले करते हैं पहचान

वो बताते हैं कि जब कोई छात्र उनसे मदद के लिए हाथ बढ़ाता है तो वो उससे जरूरी डॉक्यूमेंट्स मंगाते हैं. जैसे मृत्यु प्रमाण पत्र, कोरोना का मेडिकल एविडेंस, पढ़ाई से जुड़े दस्तावेज आद‍ि.

कौन हैं एसपीएस सर

शशि प्रकाश सिंह को एसपीएस सर के नाम से जाना जाता है. वो राजस्थान के कोटा में रहते हैं और 14 वर्षों से आकाश, एलन, पाथफाइंडर अकादमी आदि जैसे विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ा रहे हैं. वो वर्तमान में कोचिंग पोर्टल Unacademy के शीर्ष शिक्षकों में से एक हैं. कोविड -19 महामारी के बीच, सिंह ने अपनी सारी बचत और संपत्ति का निवेश करके 2021 परिवारों का समर्थन करने का फैसला किया. वो केमिस्ट्री के प्रसिद्ध शिक्षक हैं और पिछले 14 वर्षों से दिल्ली और कोटा के कई प्रसिद्ध कोचिंग संस्थानों में मार्गदर्शन दे चुके हैं. इन्होंने 2021 कोरोना महामारी में 2021 परिवारों की सहायता करने का लक्ष्य निर्धारित किया है जो देश के किसी भी कोने में रहता हो और किसी भी स्कूल में पढ़ता हो. उनसे संपर्क करने के लिए फोन नंबर 9718188375 या [email protected] और insta I'd @imshashisingh पर संपर्क कर सकते हैं.


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