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तेदेपा नेता ने आंध्र के मुख्यमंत्री को राज्य के कर्ज पर दी खुली बहस की चुनौती
jantaserishta.com
25 Dec 2022 12:36 PM GMT
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अमरावती (आईएएनएस)| राज्य की ऋण वृद्धि को पिछले तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) शासन की तुलना में कम बताने वाले बयान पर तेदेपा नेता और पूर्व वित्तमंत्री वाई रामकृष्णुडु ने रविवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को आमने-सामने बहस करने की चुनौती दी है। रामकृष्णुडु ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य पर भारी कर्ज के बोझ पर आमने-सामने बहस के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगी राज्य की देनदारियों के संबंध में आंध्र प्रदेश के भविष्य पर काफी बार रुख बदलते रहे हैं। रामकृष्णुडू ने कहा, "मैं कैग अधिकारियों की मौजूदगी में राज्य की उधारी पर मुख्यमंत्री के साथ खुली बहस के लिए तैयार हूं।"
उन्होंने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कैग जैसे संवैधानिक अधिकारियों को भी राज्य सरकार द्वारा गुमराह किया जा रहा है।
उन्होंने सवाल किया, "क्या यह सच नहीं है कि कैग ने खुले तौर पर कहा है कि उन्हें ब्योरा नहीं दिया जा रहा है।"
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री झूठे प्रचार का सहारा ले रहे हैं कि राज्य पहले की तुलना में कम उधारी ले रहा है।" रामकृष्णुडु ने आरोप लगाया कि वह राज्य के कल्याण के बजाय ऋण लेने और इन धन का दुरुपयोग करने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि 1956 से 2019 तक राज्य पर कुल कर्ज का बोझ 2.53 लाख करोड़ रुपये था, जबकि जगन मोहन रेड्डी ने इन साढ़े तीन वर्षो में बोझ के स्तर को बढ़ाकर 6.38 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इसके अलावा, कर्मचारियों को वेतन के रूप में भुगतान किया जाने वाला बकाया और ठेकेदारों को हजारों करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान किया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि जगन का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने तक कुल ऋण 11 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है।"
यह देखते हुए कि तेदेपा शासन के दौरान कुल ऋण 1,63,981 करोड़ रुपये था, जिसमें से प्रमुख हिस्सा पूंजीगत व्यय को आवंटित किया गया था। रामकृष्णुडु ने कहा कि इन साढ़े तीन वर्षो के दौरान वाईएसआरसीपी के सत्ता में आने के बाद ऋण का प्रमुख हिस्सा राजस्व व्यय के लिए आवंटित किया गया था।
रामकृष्णुडु ने कहा, 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि 26,000 करोड़ रुपये की ऑफ-बजट उधारी बजट में परिलक्षित नहीं हुई थी, और 2020-21 और 2021-22 में भी ऑफ-बजट उधारी कैग के सामने पेश नहीं की गई थी, इस प्रकार तथ्यों को दबा दिया गया। उन्होंने मांग की कि निगमों की बैलेंस शीट को सार्वजनिक डोमेन में लाया जाए और मुख्यमंत्री जनता के सामने तथ्य पेश करने के लिए खुली बहस के लिए आएं।
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