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टाटा की Air India ईपीएफओ के दायरे में आई, कंपनी के 7,453 कर्मचारियों को ईपीएफ समेत मिलेंगी इन सभी सुविधाएं का लाभ
Apurva Srivastav
29 Jan 2022 6:18 PM GMT
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पिछले दिनों टाटा ग्रुप में वापस आई एयर इंडिया के कर्मचारी अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पीएफ, पेंशन और बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ के दायरे में आ गए हैं।
नई दिल्ली: पिछले दिनों टाटा ग्रुप में वापस आई एयर इंडिया के कर्मचारी अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पीएफ, पेंशन और बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ के दायरे में आ गए हैं। ईपीएफओ ने कहा है कि विमानन कंपनी ने बीते दिसंबर में लगभग 7,453 कर्मचारियों के लिए अंशदान दिया है। श्रम मंत्रालय ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि एयर इंडिया ने ईपीएफओ सुविधा के लिए आवेदन किया था, जिसकी उसे अनुमति दे दी गई है।
ईपीएफओ के तहत मिलेंगी कई सुविधाएं
ईपीएफओ के अनुसार एयर इंडिया के ये कर्मचारी अब कई लाभ के हकदार होंगे। उन्हें अपने भविष्य निधि (पीएफ) खातों में उनके वेतन के 12 प्रतिशत पर अतिरिक्त दो प्रतिशत नियोक्ता योगदान मिलेगा। एयर इंडिया के कर्मचारी इससे पहले वर्ष 1925 के पीएफ अधिनियम के तहत आते थे, जहां पीएफ में नियोक्ता कंपनी और कर्मचारियों का योगदान 10-10 प्रतिशत का था। अब इन कर्मचारियों पर ईपीएफ योजना 1952, ईपीएस 1995 (कर्मचारी पेंशन योजना) और ईडीएलआइ 1976 (समूह बीमा) लागू होंगे।
न्यूनतम मासिक पेंशन होगी लागू
कर्मचारियों को 1,000 रुपये न्यूनतम मासिक पेंशन और कर्मचारी की मृत्यु के मामले में परिवार और आश्रितों को पेंशन उपलब्ध होगी। किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में एक सुनिश्चित बीमा लाभ न्यूनतम 2.50 लाख रुपये और अधिकतम सात लाख रुपये की सीमा में उपलब्ध होगा। इस लाभ के लिए ईपीएफओ कर्मचारियों से कोई प्रीमियम नहीं लेता है।
पीएम अधिनियम, 1925 में नहीं थी ये सुविधाएं
मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 1952-53 से, एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस दो भिन्न कंपनियां थीं। जिन्हें पीएफ अधिनियम, 1925 के अंतर्गत कवर किया गया था। साल 2007 में, दोनों कंपनियों का एयर इंडिया लिमिटेड में विलय हो गया। पीएफ अधिनियम, 1925 के मुताबिक भविष्य निधि का लाभ उपलब्ध था, लेकिन कोई वैधानिक पेंशन योजना या बीमा योजना नहीं थी। कर्मचारी स्वयं अंशदायी वार्षिकी आधारित पेंशन योजना में शामिल होते थे। योजना के नियमों के आधार पर, कर्मचारियों को जमा राशि का भुगतान किया जाता था। वहीं, किसी सदस्य की मृत्यु के मामले में कोई न्यूनतम पेंशन गारंटी और कोई अतिरिक्त फायदा नहीं था।
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