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लम्बे समय के बाद टाटा संस की Air India की वापसी, कम्पनी ने अधिग्रहण के लिए लगाई बोली
Deepa Sahu
16 Sep 2021 3:33 AM GMT
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लम्बे समय के बाद टाटा संस की Air India की वापसी
भारत के सबसे बड़े व्यापार समूह टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) और बजट एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) के प्रमुख अजय सिंह घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के लिए वित्तीय बोलियां सौंपने वालों में शामिल थे. विनिवेश की प्रक्रिया का संचालन करने वाले विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने वित्तीय 'बोलियां' मिलने के बारे में ट्वीट किया, लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी कंपनियों ने बोलियां सौंपी हैं. टाटा संस के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की कि समूह ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी के लिए बोली सौंपी है.
सूत्रों ने कहा स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कर्ज में डूबी एयरलाइन को खरीदने के लिए अपनी व्यक्तिगत क्षमता में बोली सौंपी है. एक दूसरे स्रोत ने बताया कि एयरलाइन के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली हैं. फिलहाल बोलियों के बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं मिली है.
वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन एक अघोषित आरक्षित मूल्य के आधार पर किया जाएगा और उस मानक से अधिक मूल्य की पेशकश करने वाली बोली को मंजूरी दी जाएगी. मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास सिफारिश भेजने से पहले लेनदेन सलाहकार शुरुआत में बोली की समीक्षा करेंगे.
67 साल के बाद Tata की Air India में होगी वापसी
टाटा की बोली सफल हुई तो यह 67 वर्षों के बाद टाटा की एअर इंडिया में वापसी होगी. टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस (Tata Airlines) की स्थापना की थी जिसे बाद में Air India का नाम दिया गया. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण किया था.
Vistara का संचालन कर रही है टाटा ग्रुप
टाटा सिंगापुर एयरलाइंस के साथ साझेदारी में एक प्रीमियम विमान सेवा विस्तारा (Vistara) का संचालन करती है. हालांकि यह पता नहीं चला है कि समूह ने खुद से या बजट एयरलाइन एयरएशिया इंडिया (AirAsia India) के माध्यम से बोली लगायी है. एयरएशिया इंडिया टाटा संस और मलेशिया की एयरएशिया इन्वेस्टमेंट लि. का संयुक्त उपक्रम है. खबरों के मुताबिक सिंगापुर एयरलाइंस विनिवेश कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इच्छुक नहीं थी क्योंकि इससे विस्तार और उसकी अपनी वित्तीय समस्याएं ही बढ़ेंगी.
एअर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली
निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा, लेनदेन सलाहकार को एअर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली हैं. प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है. उन्होंने ना तो बोलीदाताओं की जानकारी दी और ना ही यह बताया कि कितनी बोलियां मिली हैं.
100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एअर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एअर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं.
जनवरी 2020 में शुरू हुई थी विनिवेश की प्रक्रिया
जनवरी, 2020 से शुरू हुई विनिवेश की प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई है. सरकार ने अप्रैल, 2021 में संभावित बोलीदाताओं को वित्तीय बोली सौंपने के लिए कहा था. 15 सितंबर बोली सौंपने का आखिरी दिन था. टाटा समूह उन इकाइयों में शामिल था, जिन्होंने एयरलाइन को खरीदने के लिए दिसंबर, 2020 में प्रारंभिक रुचि पत्र (ईओआई) दिया था.
2017 के बाद से, पिछले प्रयासों में कोई महत्वपूर्ण रुचि हासिल करने में विफल रहने और संभावित निवेशकों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद, सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में Air India के लोन को नए निवेशक को हस्तांतरित करने से संबंधित ईओआई के नियम में ढील दी थी. इससे बोलीदाताओं को उस विशाल ऋण का आकार तय करने की छूट मिली जिसकी वे जिम्मेदारी लेना चाहते हैं.
जनवरी, 2020 में दीपम द्वारा जारी Air India के ईओआई के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक एयरलाइन के कुल 60,074 करोड़ रुपये के लोन में, खरीदार को 23,286.5 करोड़ रुपये के लोन की जिम्मेदारी लेनी होगी. बाकी लोन एअर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) को हस्तांतरित किया जाएगा, जो एक विशेष इकाई (एसपीवी) है.
2007 से घाटे में चल रही है Air India
Air India, 2007 में घरेलू विमान सेवा इंडियन एयरलाइंस के साथ अपने विलय के बाद से घाटे में चल रही है. एयरलाइन के लिए सफल बोली लगाने वाली कंपनी को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग एवं पार्किंग स्लॉट के साथ-साथ विदेशी हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट का नियंत्रण हासिल होगा.
इसके अलावा, कंपनी को एयरलाइन की कम लागत वाली सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100 प्रतिशत और एआईएसएटीएस का 50 प्रतिशत स्वामित्व मिलेगा. एआईएसएटीएस प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करती है.
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