टू व्हीलर इंश्योरेंस लेते वक्त इन बातों का रखें खास ध्यान, वरना होगी दिक्कत
दिल्ली: भारत में करोड़ों लोग दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। दुपहिया वाहन के उपयोग से आना-जाना बहुत आसान है। टू व्हीलर इंश्योरेंस प्लान एक सामान्य इंश्योरेंस है जो बीमित दोपहिया वाहन और उसके मालिक/ड्राइवर को दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें सड़क दुर्घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं जिनके लिए मालिक के लिए अप्रत्याशित व्यय की आवश्यकता हो सकती है। यह कवरेज दो पहिया वाहनों जैसे मोटर साइकिल, स्कूटर आदि के लिए पेश किया जाता है। आज के समय में दोपहिया वाहनों की जरूरत काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही दुपहिया वाहनों की वजह से होने वाले हादसों में भी इजाफा हुआ है। टू व्हीलर इंश्योरेंस पॉलिसी इसलिए ली जाती है ताकि इससे कोई आर्थिक नुकसान न हो। एक दोपहिया बीमा पॉलिसी वित्तीय और कानूनी बोझ को कम करती है जो बीमित दुपहिया वाहन के मालिक/चालक, बीमित वाहन, या किसी तीसरे पक्ष या उनकी संपत्ति को होने वाली क्षति के परिणामस्वरूप हो सकता है।
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार, भारतीय सड़कों पर चलने वाले किसी भी दोपहिया वाहन के लिए थर्ड पार्टी वाहन बीमा कवर अनिवार्य है। टू-व्हीलर इंश्योरेंस प्लान न केवल थर्ड-पार्टी लायबिलिटी के खिलाफ कवरेज प्रदान करते हैं बल्कि टू-व्हीलर के मालिक/ड्राइवर को व्यापक कवरेज भी प्रदान करते हैं। ये प्लान मालिक/ड्राइवर की दुर्घटना में मृत्यु या विकलांगता के कारण मरम्मत की लागत और बीमित दोपहिया वाहन को हुए नुकसान को कवर करते हैं। जबकि मूल रूप से टू व्हीलर इंश्योरेंस को दो भागों में बांटा गया है। इन दो प्रकारों में से प्रत्येक पॉलिसीधारकों को लाभ और भत्तों का एक अलग सेट प्रदान करता है। इसमें थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस और कॉम्प्रिहेंसिव टू-व्हीलर इंश्योरेंस शामिल हैं। ऐसे में किसी भी परेशानी से बचने के लिए आपको पता होना चाहिए कि आप कौन सी टू व्हीलर इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं।