ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा रविवार को ‘हरियाणवी बोली’ को बढ़ावा देने के लिए आगे आए और ब्रांड एंबेसडर बनने के बाद यहां अपने पैतृक गांव खंडरा में ‘बोलियों की क्रांति’ की शुरुआत की।
एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए नीरज चोपड़ा ने कहा कि हरियाणवी लोग सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी बोली (मातृ बोली) पर भी गर्व होना चाहिए। नीरज ने कहा, एक व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में बातचीत करनी चाहिए और ऐसा करते समय शर्मिंदगी महसूस नहीं करनी चाहिए।
एक पेड़ का उदाहरण देते हुए नीरज ने कहा कि जब एक पेड़ बड़ा हो जाता है तो वह अपनी जड़ें कभी नहीं छोड़ता और उसकी जड़ें जितनी मजबूत होंगी, पेड़ उतना ही मजबूत होगा। उसी प्रकार मातृभाषा ही व्यक्ति का मूल होती थी।
उन्होंने कहा कि पूरे आत्मविश्वास के साथ खुलकर हरियाणवी बोलनी चाहिए। ओलंपियन नीरज ने प्रसिद्ध खिलाड़ी मैसी का उदाहरण देते हुए कहा कि कई खिलाड़ी गर्व से अपनी मातृभाषा में बात करते हैं।
नीरज ने आगे कहा कि हरियाणवी बोलकर क्रांति लाने और हरियाणवी संस्कृति को विदेशों में भी प्रसिद्ध करने की जरूरत है।
चोपड़ा ने कहा कि उन्होंने 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है और इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नीरज ने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करें और अपनी संस्कृति और मातृभाषा से जुड़े रहें।