लोकसभा ने शुक्रवार को वह विधेयक पारित कर दिया, जिसमें कमांडर-इन-चीफ और आफीसर-इन-कमांड को सैन्य संगठनों में कर्मियों पर अनुशासनिक और प्रशासनिक कार्रवाई के ज्यादा अधिकार मिलते हैं।
सैन्य बलों को मिलेगी मजबूती
इससे पहले लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इंटर-सर्विसेज आर्गनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल और डिसिप्लिन) बिल सैन्य बलों को मजबूत करने की सरकार की योजना का हिस्सा है। सदन में विधेयक पेश करते समय विपक्ष के भारी विरोध के बीच रक्षा मंत्री ने यह बात कही।
सभी सैन्यकर्मियों पर लागू होंगे एक ही नियम
उन्होंने कहा कि अभी तक थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कर्मियों से जुड़े मामले संबंधित सेना अधिनियमों के अनुसार तय किए जाते थे। अब सभी को मिलाकर एक कर दिया गया है और एक ही अधिनियम सभी सैन्यकर्मियों पर लागू होगा। सैन्य बलों और अन्य बलों से संबंधित इंटर सर्विसेज आर्गनाइजेशन तालमेल बनाकर भी कार्य कर पाएंगे।
टर सर्विसेज आर्गनाइजेशन के गठन से एक स्थान पर होंगी कई प्रक्रिया
इस समय विभिन्न बलों में कार्यरत कमांडर-इन-चीफ या आफीसर-इन-कमांड के पास अनुशासनिक और प्रशासनिक कार्रवाई के लिए पर्याप्त अधिकार नहीं हैं। इसके चलते कई बार कार्रवाई में लंबा समय लग जाता है और उससे बहुत सारी चीजें प्रभावित होती हैं। लेकिन इंटर सर्विसेज आर्गनाइजेशन के गठन से सेनाओं की कार्रवाई प्रक्रिया एक ही स्थान पर आ जाएगी और उन्हें जल्द पूरा किया जा सकेगा।
थिएटर कमांड व्यवस्था को मिलेगी मजबूती
एक संसदीय समिति ने हाल ही में विधेयक को बिना किसी संशोधन के पेश और पारित किए जाने की सिफारिश की थी। नया विधेयक तीनों सेनाओं की ऐसी एकीकृत व्यवस्था बनाएगा जिसमें उनमें आपस में जुड़ाव पैदा होगा-मिलकर कार्य करने की भावना मजबूत होगी। इससे भविष्य में बनने वाली थिएटर कमांड व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार के लिए इंटर सर्विसेज आर्गनाइजेशन के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा।