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ओमिक्रोन के खिलाफ टी-सेल्स बन सकती हैं सुरक्षा कवच, जानिए कैसे करती हैं ये काम

Khushboo Dhruw
4 Jan 2022 6:39 PM GMT
ओमिक्रोन के खिलाफ टी-सेल्स बन सकती हैं सुरक्षा कवच, जानिए कैसे करती हैं ये काम
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ओमिक्रोन के बढ़ते संक्रमण के बीच अगर आप भी इस बात से परेशान हैं कि टीके के कारण आपके शरीर में बनी एंटीबाडी धीरे-धीरे निष्प्रभावी हो रही है,

ओमिक्रोन के बढ़ते संक्रमण के बीच अगर आप भी इस बात से परेशान हैं कि टीके के कारण आपके शरीर में बनी एंटीबाडी धीरे-धीरे निष्प्रभावी हो रही है, तो आपके लिए अच्छी खबर है। आस्ट्रेलिया के विज्ञानियों ने शोध में पाया है कि वायरस के खिलाफ शरीर में बनी एंटीबाडी भले ही कुछ समय बाद खत्म हो जाए, लेकिन हमारे शरीर में पाई जाने वाली टी-सेल्स हमेशा हमें संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकती हैं। विज्ञानियों ने इन टी-सेल्स को कोरोना संक्रमण के खिलाफ बैकअप प्लान की संज्ञा भी दी है। इस अध्ययन को विज्ञान पत्रिका वायरसेज में प्रकाशित किया गया है। सबके शरीर में होता है बैकअप प्लान

किसी व्यक्ति को संक्रमण होने या टीका लगने की स्थिति में एंटीबाडी के साथ-साथ उसके शरीर में टी-सेल्स का भी निर्माण होता है। अब तक के शोध बताते हैं कि कोरोना महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस का नया ओमिक्रोन वैरिएंट एंटीबाडी के कारण शरीर में बने सुरक्षा चक्र को भेद सकता है। यही कारण है कि टीका लगवा चुके लोगों में भी संक्रमण यानी ब्रेकथ्रू संक्रमण के कई मामले मिल रहे हैं। आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी आफ मेलबर्न के प्रोफेसर मैथ्यू एम ने कहा, 'अध्ययन बेशक शुरुआती स्तर पर ही है, लेकिन यह उम्मीद बढ़ाने वाला है। ओमिक्रोन या कुछ अन्य वैरिएंट एंटीबाडी से तो बचकर जा सकते हैं, लेकिन टी-सेल्स की दीवार को भेदना अब तक उनके लिए संभव नहीं है।'
ऐसे काम करती हैं टी-सेल्स
किसी मनुष्य में शरीर में बनी टी-सेल्स मुख्यत: संक्रमित कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें दूर करने का काम करती हैं। अध्ययन के दौरान विज्ञानियों ने कोरोना वायरस के वायरल प्रोटीन्स का विश्लेषण किया, जिन्हें टी-सेल्स पहचानती हैं। इन्हें एपिटोप्स कहा जाता है। ओमिक्रोन के मामले में भी टी-सेल्स ने इपिटोप्स को आसानी से पहचान लिया। इससे यह पता चलता है कि ओमिक्रोन में हुए म्युटेशन भी टी-सेल्स को चकमा नहीं दे पाते हैं।


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