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सुप्रीम कोर्ट: आरोपों से मुक्ति की मांग आरोपी का मूल्यवान अधिकार, निचली अदालतें को दिए निर्देश
Deepa Sahu
11 May 2021 1:05 PM GMT
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालतों को मामले के गुण-दोष के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालतों को मामले के गुण-दोष के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में आरोपों तय किए जाने से 'मुक्त' करने का अनुरोध करना कानून के तहत आरोपी का मूल्यवान अधिकार है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बातें कहीं। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से तय है कि निचली अदालत आरोप मुक्त अनुरोध वाली अर्जियों पर विचार करते हुए महज डाक घर के तौर पर काम नहीं करेंगी।
पीठ ने कहा, 'संदिग्ध के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार हैं या नहीं यह तय करने के लिए अदालत को साक्ष्यों की छानबीन करनी होगी। अदालत को व्यापक संभावनाओं, पेश किए गए दस्तावेजों और साक्ष्यों के कुल प्रभाव और मामले में नजर आ रही बुनियादी कमियों को ध्यान में रखना होगा।' शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इसी तरह, जरूरत महसूस होने पर अदालत अपने विवेक से उचित मामलों में आगे की जांच का आदेश भी दे सकती हैं।
यह था मामला
सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश निवासी संजय कुमार राय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। राय ने एक आपराधिक पुनर्विचार याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, संत कबीर नगर के आरोपों से मुक्त करने से संबंधित राय की याचिका खारिज करने का फैसला बरकरार रखा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उक्त अहम निर्देश दिए।
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