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नई दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण मौत का शिकार बने लोगों के परिवारों को मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश बनाने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नाखुशी व्यक्त की। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करे। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, 'हमने काफी समय पहले आदेश जारी किया था। हम एक बार पहले ही समय बढ़ा चुके हैं। जब तक आप दिशानिर्देश तैयार करेंगे, तीसरी लहर भी निकल चुकी होगी।'
केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि हर चीज पर विचार चल रहा है। याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने कहा कि विचार करने के नाम पर चीजों में विलंब नहीं होना चाहिए क्योंकि शीर्ष अदालत 16 अगस्त को मुआवजे के दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को पहले ही चार हफ्ते का अतिरिक्त समय प्रदान कर चुकी है। अब वह और समय मांग रही है।
कुछ आवेदकों की ओर से पेश अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने कहा कि 30 जून को जारी पहले निर्देश का बढ़ा हुआ समय आठ सितंबर को समाप्त हो रहा है।
पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को मुआवजे पर फैसला उस समयसीमा के अंदर लेना है और आज मामले को सिर्फ अन्य निर्देशों के अनुपालन के उद्देश्य से स्थगित किया जा रहा है। पीठ ने कहा, 13 सितंबर को पेश कीजिए जैसा कि सालिसिटर जनरल ने समय मांगा है ताकि केंद्र सरकार पूर्व के आदेशों का अनुपालन कर सके और 30 जून, 2021 को इस कोर्ट द्वारा जारी अन्य निर्देशों की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत कर सके।'
30 जून को शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह कोरोना से मरने वालों के परिवारों को मुआवजे के लिए छह हफ्ते में उचित दिशानिर्देश की सिफारिश करे। साथ ही कोरोना से मृत्यु के प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को भी सरल करने का आदेश दिया था।
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