फिल्म 'द केरल स्टोरी' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार की ली क्लास
दिल्ली। थिएटर्स में धमाल मचा रही फिल्म 'द केरल स्टोरी' को लेकर विवाद भी लगातार चल ही रहे हैं. रिलीज के बाद तमिलनाडु के थिएटर्स में जहां फिल्म नहीं दिखाई जा रही. वहीं पश्चिम बंगाल ने फिल्म पर बैन ही लगा दिया. लेकिन शुक्रवार को फिल्म पर बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की क्लास ले ली. शुक्रवार को, 'द केरल स्टोरी' फिल्म पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई कर दी.
'द केरल स्टोरी' के मेकर्स ने पश्चिम बंगाल में फिल्म पर लगे बैन और तमिलनाडु में 'डी फैक्टो' बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कोर्ट ने मेकर्स की याचिका पर, दोनों राज्यों की सरकारों को नोटिस जारी किया गया है. पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की सरकारों को, बुधवार तक इस नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है. चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई, गुरुवार को होगी.
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की बेंच के सामने मेकर्स की याचिका को 'अर्जेंट लिस्टिंग' के ली रखा था. साल्वे ने कहा कि ये याचिका पश्चिम सरकार द्वारा फिल्म पर लगाए बैन और तमिलनाडु में चल रहे 'डी-फैक्टो' बैन को चैलेंज करती है, क्योंकि वहां 'द केरल स्टोरी' दिखा रहे थिएटर्स को धमकी दी जा रही है और स्क्रीनिंग रोक दी गई हैं.
कोर्ट ने फिल्म बैन करने को लेकर पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार पर सख्ती दिखाते हुए कहा, 'बंगाल में 'द केरल स्टोरी' क्यों नहीं रिलीज हो सकती? क्या ये (बैन) आर्टिस्टिक फ्रीडम को लेकर है? बाकी देशभर में फिल्म चल रही है.' कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा, 'पश्चिम बंगाल देश के बाकी हिस्सों से अलग नहीं है.' मेकर्स की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को जवाबतलब करते हुए कोर्ट ने ये बताने को कहा कि 'द केरल स्टोरी' दिखा रहे थिएटर्स के लिए क्या सुरक्षा व्यवस्थाएं की गई हैं. तमिलनाडु सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट अमित आनंद तिवारी ने मेकर्स की शिकायत का जवाब देते हुए कोर्ट से कहा कि फिल्म पर कोई बैन नहीं लगाया गया है. इसपर सख्ती दिखाते हुए बेंच ने कहा, 'जब थिएटर्स पर हमले हो रहे हों और कुर्सियां जलाई जा रही हों तो राज्य सरकार ये नहीं कह सकती कि वो मुंह फेर लेगी.'