दिल्ली। वन रैंक वन पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा. वन रैंक वन पेंशन नीति के खिलाफ इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट ने याचिका दाखिल की है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगी. मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था.
याचिकाकर्ता भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) ने 7 नवंबर 2015 के OROP नीति के फैसले को चुनौती दी है. इसमें उन्होंने दलील दी थी कि यह फैसला मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि यह वर्ग के भीतर वर्ग बनाता है और प्रभावी रूप से एक रैंक को अलग-अलग पेंशन देता है. 16 फरवरी को पिछली सुनवाई हुई थी, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति OROP नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है. इस पर केंद्र ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि नीति पर फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि OROP की अभी तक कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है.
केंद्र सरकार से पूछे थे ये सवाल
- OROP कैसे लागू किया जा रहा है?
- OROP से कितने लोगों को लाभ हुआ है?
यह है पूरा मामला
इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की 5 साल में एक बार पेंशन की समीक्षा करने की सरकार की नीति को चुनौती दी है. वहीं केंद्र ने दायर हलफनामे में 2014 में संसद में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बयान पर विसंगति का आरोप लगाया है. केंद्र ने कहा कि चिदंबरम का 17 फरवरी 2014 का बयान तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बिना दिया गया था. दूसरी ओर कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को भारत सरकार (कारोबार नियमावली) 1961 के नियम 12 के तहत प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया है.
2015 में केंद्र ने की थी योजना की घोषणा
केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2015 को वन रैंक वन पेंशन' (OROP) योजना की अधिसूचना जारी की थी. इसमें कहा गया था कि योजना 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी मानी जाएगी.