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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और पतंजलि को नोटिस जारी किया. IMA ने एलोपैथी इलाज और वैक्सीनेशन के खिलाफ बाबा रामदेव के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमणा ने कहा कि बाबा रामदेव को दूसरी चिकित्सा पद्धति पर सवाल उठाने से परहेज करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव की टिप्पणी पर नाराजगी व्यक्त की. सीजेआई एनवी रमणा ने कहा कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है? योग को लोकप्रिय बनाने के लिए हम उनकी इज्जत करते हैं, लेकिन वे इलाज के दूसरे तरीकों पर सवाल उठाते हैं! उनको ऐसा नहीं करना चाहिए.
IMA ने कहा कि यह सब टीवी और अखबारों में विज्ञापनों से शुरू हुआ. जब डॉक्टरों ने इस मामले में विरोध करना शुरू किया, उसके बाद यह मामला संसद में उठा. यह एक गंभीर समस्या का कारण बनने जा रहा है. इस पर सीजेआई ने पूछा कि अब आप इस मामले में क्या चाहते हैं?
इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोई प्राधिकरण इस मुद्दे को उठाए. हमने पूरे महामारी के दौरान इस मुद्दे को उठाया. इसके बावजूद जुलाई 2022 में भी इसी तरह से विज्ञापन चलाए गए. ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित करना दण्डनीय अपराध है. विज्ञापन मानकों के मुताबिक, ऐसी गलत सूचना एक दण्डनीय अपराध है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव को क्या हुआ है? वे क्यों इन सभी लोगों पर आरोप लगा रहे हैं और दवाईयों को लेकर ऐसी बातें कर रहे हैं? उन्होंने इस तरह के बड़े विज्ञापन क्यों दिए कि डॉक्टर किलर हैं. वे इस तरह से सिस्टम और डॉक्टरों के बारे में नहीं कह सकते.
Tagsएलोपैथी
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