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प्रवासियों को लेकर मोदी सरकार के रुख पर बोला सुप्रीम कोर्ट - लापरवाह रवैया अक्षम्य

Admin2
29 Jun 2021 8:07 AM GMT
प्रवासियों को लेकर मोदी सरकार के रुख पर बोला सुप्रीम कोर्ट - लापरवाह रवैया अक्षम्य
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कोरोना वायरस संकट के बीच प्रवासियों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के रुख को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंकड़े देने के मामले में केंद्र का लापरवाही भरा रवैया अक्षम्य है। मंगलवार को कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार को कुछ भी निर्देश दिए, जिसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 'वन नेशन, वन राशन कार्ड' योजना 31 जुलाई तक लागू करने को कहा गया। टॉप कोर्ट ने इसके साथ ही यह भी कहा कि केंद्र एनआईसी की मदद से इसी समय सीमा के भीतर एक पोर्टल तैयार करे, जिस पर असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों का पंजीकरण हो सके और उन्हें लाभ मुहैया कराए जा सकें। कोर्ट ने इसके अलावा केंद्र को कोविड की स्थिति रहने तक प्रवासी मजदूरों के बीच मुफ्त वितरित करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अनाज आवंटित करने के लिए कहा। यह भी कहा कि सूबे और केंद्रशासित प्रदेश वैश्विक महामारी की स्थिति जारी रहने तक प्रवासी मजदूरों के लिए सामुदायिक रसोई का संचालन करें।

दरअसल, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की बेंच ने तीन कार्यकर्ताओं की याचिका पर कई निर्देश पारित किए, जिसमें केंद्रों और राज्यों को प्रवासी मजदूरों के लिए खाद्य सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण और अन्य कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में कहा गया कि प्रवासी मजदूर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कर्फ्यू और लॉकडाउन लगाए जाने के कारण संकट का सामना कर रहे हैं। कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर ने प्रवासी मजदूरों के लिए कल्याणकारी उपायों को लागू करने के अनुरोध के साथ एक याचिका दायर की थी।

बेंच ने इस दौरान डेटा लाने में देरी को लेकर टिप्पणी की, "श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का लापरवाह रवैया अक्षम्य है।" कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया- असंगठित श्रमिकों और प्रवासियों पर एक पोर्टल न लाने के मामले में केंद्र की देरी से पता चलता है कि यह प्रवासी श्रमिकों की चिंताओं के लिए गंभीर नहीं है। इसी बीच, टॉप कोर्ट ने 'सेंट्रल विस्टा' के निर्माण कार्य को कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर रोकने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका को खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने चुनिंदा रूप से सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने का अनुरोध किया और राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन के दौरान जारी अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के बारे में बुनियादी शोध भी नहीं किया।

'FM का घोषित पैकेज एक और ढकोसला': कोर्ट की ओर से यह निर्देश तब आया, जब कल ही वित्त मंत्री ने एक और राहत पैकेज की घोषण की थी। हालांकि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 1.1 लाख करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना समेत कई कदमों के ऐलान किए जाने को 'एक और ढकोसला' करार देते हुए मंगलवार को कहा कि इस 'आर्थिक पैकेज' से कोई परिवार अपने रहने, खाने, दवा और बच्चे की स्कूल की फीस का खर्च वहन नहीं कर सकता। उन्होंने ट्वीट किया, ''वित्त मंत्री के 'आर्थिक पैकेज' से कोई परिवार अपने रहने-खाने-दवा-बच्चे की स्कूल फ़ीस का ख़र्च वहन नहीं कर सकता। पैकेज नहीं, एक और ढकोसला!''

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